Hindi, asked by tuskin567, 9 months ago

प्रकृयत को लाना हैतो प्रकृयत को बचाना ववषि पर एकाांकी ललखे |

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Answered by Anonymous
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Answer:

अरुण करुण बिम्ब !

वह निर्धूम भस्म रहित ज्वलन पिंड!

विकल विवर्तनों से

विरल प्रवर्तनों में

श्रमित नमित सा -

पश्चिम के व्योम में है आज निरवलम्ब सा .

आहुतियाँ विश्व की अजस्र से लुटाता रहा-

सतत सहस्त्र कर माला से -

तेज ओज बल जो व्दंयता कदम्ब-सा.

२.

पेशोला की उर्मियाँ हैं शांत,घनी छाया में-

तट तरु है चित्रित तरल चित्रसारी में.

झोपड़े खड़े हैं बने शिल्प से विषाद के -

दग्ध अवसाद से .

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