पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।' - मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
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मालकिन के इस कथन कि वह अपने “पूर्वजों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता” इसलिए कहा क्योंकि उनके पूर्वजों ने अपने खून पसीने की कमाई में से दो दो पैसे जोड़ कर इन्हें खरीदा है। घर की मालकिन ने घर में पीतल कांसे के बर्तन को सहेज कर रखा हुआ था क्योंकि वह अपने पुरखों की मेहनत से कमाई हुई संपत्ति के मूल्य को भली-भांति समझती थी। वह अपने पुरखों की मेहनत की कमाई को मिट्टी के भाव नहीं बेचना चाहती थी।
विरासत में प्राप्त धन संपत्ति का उपयोग व्यक्ति के द्वारा सोच समझ कर किया जाना चाहिए। उसके साथ पूर्वजों का स्नेह ,यादें और सम्मान भी जुड़ा होता है। वे उनके कठिन परिश्रम, पसंद और भविष्य के प्रति लगाव के चिन्ह होते हैं। उसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने से पूर्वजों के प्रति हमारे सम्मान एवं आदर की भावना प्रकट होती है। नयापन के लालच में अपनों की स्मृतियों को नहीं भुलाया जाना चाहिए।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
Answer:
*हमारे पुरखों के समय इतने साधन और सुविधाएँ न थीं। उन्हें हर चीज़ पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। आमदनी कम होने से मूलभूत आवश्यकताएँ पूरा करना भी कठिन हो जाता था। इसके बाद भी उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई में से कुछ पैसे बचाकर अनेक कलात्मक वस्तुएँ एकत्र की और उन्हें अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए छोड़ गए। इनसे उनकी मेहनत लगन और बचत की कठिनाइयों का पता चलता है।
नई पीढ़ी के लिए ये वस्तुएँ विरासत जैसी होती हैं। इनसे हमें अपनी सभ्यता संस्कृति का ज्ञान मिलता है। ये वस्तुएँ हमारे पूर्वजों की रुचियों एवं आर्थिक सामाजिक स्थिति का परिचय कराती हैं। यह आने वाली पीढ़ियों का दायित्व है कि वे विरासत की इन वस्तुओं का संरक्षण करें तथा भावी पीढ़ी को सौंप जाएँ। पूर्वजों की मेहनत और गाढ़ी कमाई से बनाई इन वस्तुओं का महत्त्व जानकर ही मालकिन का मन इन्हें हराम के भाव में बेचने को नहीं करता है।*