प्रलचकद्या पूरी निजीण
रामनामका एक युवक सेंक लदमीनाथ के महा काम
गरता है। कठिन परियूम के बाद भी रो भारपेठ
भोजन नसिब नही होता है। अधिक तगिसे परेशान
रामू एक दिन दुकान पर अकेला बैठा भा रहत है। एक
आदमी आकर उसै २०० देताराम वह पेशा दूकान
मैं जमा करने कीबजार अपने पास रख लेता है, परंतु
ग्लानि के कारण वह रात भर सो नहीं पाता सूब
उठते ही समूदुकान जाकर चुप चाप सै रूपएं पुकान
मजाकर जमा कर देता है। उसमे
कछुआ सीबोज आखिरकार उतर जाता है।
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