प्रमाणन के संबंध में अंकेक्षण के क्या कर्तव्य
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अंकेक्षक त्रुटियों का पता लगाने हेतु प्रारम्भिक लेखों की जाँच, जर्नल की जाँच, रोकड शेष की जाँच, खातों के शेषों की जाँच, सहायक बहियों की खतौनी की जाँच, गत वर्ष के तलपट से मिलान, अन्तर की राशि का पता लगाना, तलपट के जोड़ की जाँच आदि क्रिया अपना सकता हैं।
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अंकेक्षण के क्या कर्तव्य-
अंकेक्षक त्रुटियों का पता लगाने हेतु प्रारम्भिक लेखों की जाँच, जर्नल की जाँच, रोकड शेष की जाँच, खातों के शेषों की जाँच, सहायक बहियों की खतौनी की जाँच, गत वर्ष के तलपट से मिलान, अन्तर की राशि का पता लगाना, तलपट के जोड़ की जाँच आदि क्रिया अपना सकता हैं।
प्रमाणक -
हिसाब-किताब की पुस्तकों की शुद्धता, सत्यता तथा पुर्णता को प्रमाणित करना एक अंकेक्षक का प्रथम कर्तव्य है। अंकेक्षण रिपोर्ट देते समय उसे यह देखना चाहिए कि प्रारम्भिक पुस्तकों में प्रविष्टियां ठीक है। वे उचित प्रमाणकों पर आधारित है, अधिकृत है और इनके पिछे कोई छल-कपट नही है। अत: बिना प्रमाणक के लेखा पुस्तकों में कोई प्रविष्टि नही होनी चाहिए और बिना प्रविष्टि का कोई प्रमाणक नही होना चाहिए। ।