प्ररनाक उत्तर दीजिए:-
यह सच है कि इस जटिल संसार में दूसरे लोग हमें धक्का मारकर गिरा सकते है, परंतु यह नीच्य है कि
ज्यादातर बार हम खुद ही अपने आपको गिराते है। हम अपनी व्यक्तिगत कमियाँ , व्यक्तिगत गलतियों के कारण हारते है।
यदि हम इनसे उबर पाएँ तो हमारे जीवन की राह काफी हद तक आसान हो जाएगी। जारी यह है कि हम अपनी
कमियों, गलतियों को पहचानें, उन्हें स्वीकार करें और उनसे निजात पाने का प्रयास करें। सफलता के लिए अपने आपको
हमेशा यह याद दिलाते रहें कि आप आदर्श और पूर्ण मनुष्य बनना चाहते है जैसा करना इंसान के लिए संभव है। कई
लोग आत्लनुन्ध्ता के शिकार हो यथास्थितिवाद के इतने आदी हो जाते हैं कि वे सुधार की संभावनाओं को देखना ही नहीं
चाहते। यहीं आकर वे अपने व्यक्तित्व विकास को रोक देते है। जीवन सुधार की प्रक्रिया सतत चलती रहनी चाहिए। इसी
में व्यक्तित्व विकास का सार निहित है।
1. इस संसार की क्या परंपरा है?
2 लोग यथास्थिति के आदी कयों हो जाते है?
3. जीवन में कौन प्रक्रिया निरंतर चलती रहनी चाहिए और क्यों?
4. मानव व्यकितत्व का विकास कैसे रुक जाता है?
5. ज्यादातर और व्यक्तित्व में मूलशब्द और प्रत्यय अलग करके लिखे?
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log apne aap ko sb se shreshth mante hai
Explanation:
log apne aap ko shreshth mante Hain
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