Hindi, asked by jahanvisharma117, 3 months ago

प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए (3)

पेड़ झुक झांकने लगे गर्दन उच्च काय ,आंधी चली धूल भागी घाघरा उठाएं l बाकी चितवन उठा नदी ठिठक घूंघट सरके मेघ आए बड़े बन ठन के सवर के चुकी है ll अथवा आज की दुनिया पहले की दुनिया से कुछ बहुत अनूठी तो हो नहीं गई, पर अखबारों में सामान्य बातें नहीं छपती छपे भी तो तो कैसे ,पाठक उन्हें पढ़ने में रस नहीं लेते ll

Answers

Answered by umeshchandrasigh50
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Explanation:

मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के

आगे-आगे नाचती गाती बयार चली

दरवाजे खिड़कियाँ खुलने लगीं गली गली

पाहुन ज्यो आये हों गाँव में शहर के

मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के

जब प्रचंड गर्मी के बाद काले बादल आसमान पर छाने लगते हैं तो हर कोई बड़ी खुशी से उसका स्वागत करता है। इस कविता में मेघ के स्वागत की तुलना दामाद के स्वागत से की गई है। हमारे यहाँ हर जगह दामाद की बड़ी मान मर्यादा होती है। खासकर गांवों में तो जैसे पूरा गांव ही दामाद के स्वागत में जुट जाता है। मेघ किसी जमाई की तरह सज संवर कर आया है। उसके स्वागत में आगे-आगे नाचती गाती हुई हवा चल रही है, ठीक उसी तरह जैसे गांव की सालियाँ किसी जमाई के आने के समय करती हैं। लोग दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर उसकी एक झलक देखने को बेताब हैं।पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये

आंधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये

बांकी चितवन उठा, नदी ठिठकी घूंघट सरके

मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के।

जब मानसून में तेज हवा चलती है तो पेड़ झुक जाते हैं और ऐसा लगता है जैसे वे गरदन उचका कर मेघ रूपी पाहुन को देख रहे हैं। आंधी चल रही है और धूल ऐसे भाग रही है जैसे कोई सुंदरी अपना घाघरा उठाये हुए भाग रही हो। नदी ठिठक कर अपना घूंघट सरका रही है और अपनी बांकी नजर से मेघ को निहार रही है।

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