प्रस्तुन पद्यांश का संदर्म लिखिए ? please send it fast please
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महत्त्व किसी कार्य की विशालता में नहीं है, उस कार्य को करने की भावना में है। बड़े से बड़ा कार्य हीन है,यदि उसके पीछे अच्छी भावना नहीं है, और छोटे से छोटा कार्य भी महान है, यदि उसके पीछे अच्छी भावना है। सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक नवनीत के पाठ "मैं और मेरा देश" से अवतरित है।
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