प्रस्तुत भक्ति पदावली मे रसखान अपने जीवन का सुख किं दो कार्यों में महसुस करते हैं ?
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रसखान का जन्म सन् 1548 में हुआ माना जाता है। उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था और वे दिल्ली के आस-पास के रहने वाले थे। कृष्ण-भक्ति ने उन्हें ऐसा मुग्ध कर दिया कि गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली और ब्रजभूमि में जा बसे। सन् 1628 के लगभग उनकी मृत्यु हुई
- रसखान काव्य कला में भी अत्यंत निपुण है । जहाँ इनका भाव-पक्ष तथा भक्ति-भावना स्वच्छंद गति से प्रस्फुटित हुआ है वैसे ही इनकी काव्य कला भी स्वत: अभिव्यक्त हुई है। "भारतीय संस्कृति में 'शिल्प' को सौंदर्य-भावना का मूल संस्कर्ता और चित्र, मूर्ति, नृत्य, गीत, वाद्य (संगीत) आदि कलाओं का समाहर्ता माना गया है ।"
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