प्रस्तुत गीत की प्रथम चार पंक्तियो का भावार्थ लिखिए सौंधी सुगंध
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धरती ने शृंगार किया, फिर माथे रोली, सोंधी-सोंधी-सी सुगंध, माटी से बोली ।। प्रस्तुत गीत में कवि ने वर्षा ऋतु का वर्णन किया है । वर्षा में प्रकृति के विविध रूपों, पेड़-पौधों, नदी-तालाबों आदि में होने वाले परिवर्तनों का यहाँ सजीव एवं मनोहारी वर्णन किया गया है।
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