प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
Answers
Explanation:
अंग्रेजी के प्रसिद्ध निबन्ध-लेखक ए० जी० गार्डिनर का कथन है कि लिखने की एक विशेष मानसिक स्थिति होती है। उस समय मन में कुछ ऐसी उमंग-सी उठती है, हृदय में कुछ ऐसी स्फूर्ति-सी आती है, मस्तिष्क में कुछ ऐसा आवेग-सा उत्पन्न होता है कि लेख लिखना ही पड़ता है। उस समय विषय की चिन्ता नहीं रहती। कोई भी विषय हो, उसमें हम अपने हृदय के आवेग को भर ही देते हैं। हैट टाँगने के लिए कोई भी ख़ुटी काम दे सकती है। उसी तरह अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए कोई भी विषय उपयुक्त है। असली वस्तु है हैट, खूटी नहीं। इसी तरह मन के भाव ही तो यथार्थ वस्तु हैं, विषय नहीं।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स)
1.‘हैट’ और ‘ख़ुटी’ का उदाहरण इस गद्यांश में क्यों दिया गया हैं ? स्पष्ट कीजिए।
2. विशेष मानसिक स्थिति में क्या होता है ?
3. मनोभावों को व्यक्त करने के लिए किसकी आवश्यकता होती है ?
[ उमंग = उल्लास, उत्साह अथवा आनन्द की स्थिति। स्फूर्ति = (शारीरिक एवं मानसिक) ताजगी।, आवेग = मानसिक उत्तेजना या उत्कट भावना।]
उत्तर
(अ) प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड में संकलित तथा श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी द्वारा लिखित ‘क्या लिखें ?’ शीर्षक ललित निबन्ध से उद्धृत है।
अथवा निम्नवत् लिखें-
पाठ का नाम क्या लिखें? लेखक का नाम-श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।
[ विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए इस प्रश्न का यही उत्तर इसी रूप में प्रयुक्त होगा।]
(ब ) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या–ए० जी० गार्डिनर अंग्रेजी के प्रसिद्ध निबन्धकार हुए हैं। उन्होंने कहा है कि मन की विशेष स्थिति में ही निबन्ध लिखा जाता है। उसके लिए मन के भाव ही यथार्थ होते हैं, विषय नहीं। मनोभावों को व्यक्त करने के लिए कोई भी विषय उपयुक्त हो सकता है। निबन्ध लिखने की विशेष मनोदशा के सम्बन्ध में उनका कहना है कि उस समय मन में एक विशेष प्रकार का उत्साह और स्फूर्ति आती है और मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार की आवेगपूर्ण स्थिति बनती है और उस आवेग को उमंग के कारण विषय की चिन्ता किये बिना निबन्ध लिखने को बाध्य होना ही पड़ता है।
padhansh ke path or kavi ka naam