Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

प्रस्तुत काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू इतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन
छाया मत छूना मन, होगा दुःख दूना।।
क) कवि ने यश ,वैभव ,मान-सम्मान आदि को किसके समान बताया है? कवि बीते समय को याद करने के लिए मना क्यों करता है?
ख) कवि ने दुःख भरी कठिन परिस्थितियों व जीवन की सच्चाइयों के बारे में क्या कहा है तथा मनुष्य को क्या संदेश दिया है?
ग) कवि के अनुसार किस लोक में विचरने का कोई लाभ नहीं है?
(Class 10 Hindi A Sample Question Paper)

Answers

Answered by nikitasingh79
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क) मानव उसी तरह जीवन भर यश वैभव मान के पीछे भागता है जैसे रेगिस्तान में हिरन जल के आभास में चमकती रेत के पीछे दौड़ता है। जीवन में यश वैभव को कवि ने मृगतृष्णा के समान कहा है। जैसे हिरण की प्यास नहीं बुझती उसी तरह मनुष्य भी अर्जित यश, वैभव, मान से संतुष्ट नहीं होता। उस की लालसा कभी नहीं मिटती।

कवि बीते समय को याद करने के लिए इसलिए मना करता है क्योंकि जो समय बीत गया उसके सुखों को याद कर के वर्तमान दुखों को और बढ़ाने से कोई लाभ नहीं है।

ख) कभी मनुष्य कहता है कि तेरे सामने आज जो दुख भरी कठिन परिस्थितियां आ रही है तू केवल उन्हीं का सामना कर ।जीवन की सच्चाइयों से अपना मुंह मत मोड़। कवि ने मनुष्य को वर्तमान में जीने की कला विकसित करने का संदेश दिया है। कवि कहते हैं जो नहीं मिला न सही जो है उसे महत्व प्रदान करे कम से कम उसे तो हाथों से न जाने दें।

ग) कवि के अनुसार कल्पना लोक में बिछड़ने का कोई लाभ नहीं है क्योंकि कल्पना लोक में विचरण करने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता।

Answered by sangitajain975
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Answer:

Thanks for the explanation above!!

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