प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने एक पुष्प के शैशव और यौवन
व्यवहार का वर्णन किया है।
था कली के रूप शैशव में अहो सूखे सुमन, ,
मुसकराता था, खिलाती अंक में तुझको पवन!
खिल गया जब पूर्ण तू मंजुल सुकोमल पुष्प बन
लुब्ध मधु के हेतु मंडराने लगे आने भ्रमर!
।
७
व
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