Hindi, asked by khanalam12345678901, 1 month ago

प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? अदभुत एक अनुपम बाग। जुगल कमल पर गजवर क्रीडत, है तापर सिंह करत अनुराग। ३. कानुप्रास b. व्यतिरेक द रूपकातिशयोक्ति d. निदर्शन (SS c​

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Answered by Anonymous
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Answer:

कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब

अगर दसों दिशाएँ हमारे सामने होतीं,

हमारे चारों ओर नहीं।

कितना आसान होता चलते चले जाना

यदि केवल हम चलते होते

बाक़ी सब रुका होता।

मैंने अक्सर इस ऊलजलूल दुनिया को

दस सिरों से सोचने और बीस हाथों से पाने की कोशिश में

अपने लिए बेहद मुश्किल बना लिया है।

शुरू-शुरू में सब यही चाहते हैं

कि सब कुछ शुरू से शुरू हो,

लेकिन अंत तक पहुँचते-पहुँचते हिम्मत हार जाते हैं।

हमें कोई दिलचस्पी नहीं रहती

कि वह सब कैसे समाप्त होता है

जो इतनी धूमधाम से शुरू हुआ था

हमारे चाहने पर।

दुर्गम वनों और ऊँचे पर्वतों को जीतते हुए

जब तुम अंतिम ऊँचाई को भी जीत लोगे—

जब तुम्हें लगेगा कि कोई अंतर नहीं बचा अब

तुममें और उन पत्थरों की कठोरता में

जिन्हें तुमने जीता है—

जब तुम अपने मस्तक पर बर्फ़ का पहला तूफ़ान झेलोगे

और काँपोगे नहीं—

तब तुम पाओगे कि कोई फ़र्क़ नहीं

सब कुछ जीत लेने में

और अंत तक हिम्मत न हारने में।सप्रेम नमस्ते ।

जन्मदिवस के उपलक्ष्य में कल ही मुझे तुम्हारा निमंत्रण-पत्र प्राप्त हुआ । तुम्हारा जन्मदिवस हम सबके लिए भी अत्यंत हर्ष का दिन है । मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं इस शुभ अवसर पर अवश्य पहुँचूँ । परंतु मेरी परीक्षाएँ अत्यंत निकट होने के कारण मैं स्वयं को असमर्थ पा रहा हूँ । मुझे उम्मीद है मेरी विवशता को ध्यान में रखते हुए मुझे क्षमा करोगे ।

ADVERTISEMENTS:

तुम्हारे जन्मदिवस के शुभ अवसर पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई व समस्त मंगलकामनाएँ । मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जीवन में वह सब कुछ तुम्हें प्राप्त हो जिसकी तुम कामना करते हो ।

पुन: जन्मदिवस की समस्त शुभकामनाओं के साथ,

तुम्हारा अभिन्न मित्र

विनोद

Answered by aarav5i6
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Answer:

pls friends it's urgent , light ray travels from one medium to another with the same refractive index सप्रेम नमस्ते ।

जन्मदिवस के उपलक्ष्य में कल ही मुझे तुम्हारा निमंत्रण-पत्र प्राप्त हुआ । तुम्हारा जन्मदिवस हम सबके लिए भी अत्यंत हर्ष का दिन है । मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं इस शुभ अवसर पर अवश्य पहुँचूँ । परंतु मेरी परीक्षाएँ अत्यंत निकट होने के कारण मैं स्वयं को असमर्थ पा रहा हूँ । मुझे उम्मीद है मेरी विवशता को ध्यान में रखते हुए मुझे क्षमा करोगे ।

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तुम्हारे जन्मदिवस के शुभ अवसर पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई व समस्त मंगलकामनाएँ । मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जीवन में वह सब कुछ तुम्हें प्राप्त हो जिसकी तुम कामना करते हो ।

पुन: जन्मदिवस की समस्त शुभकामनाओं के साथ,

तुम्हारा अभिन्न मित्र

विनोद

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