प्रस्तुत पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए - "माइ थी वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै ।"
ravi828380:
hi
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इस का मतलब- जैसे किसी की मुस्कराहट इतनी अच्छी है की अगर कोई उसकी मुस्कान को देख ले तो देखने वाली या देखने वाला झेल नहीं पाते हैं मतलब वे मोहित हो जातें हैं और वे अपने लाज सरम को भूलकर उसके पास चले जाते हैं।
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