प्रस्तुत पंक्तियों में रस की व्यंजना किस प्रकार हो रही है, स्पष्ट कीजिए?
1. रे मन आज परीक्षा तेरी।
विनती करती हूँ मैं तुम्हसे बात न बिगड़े मेरी।
यदि वे चल आये हैं इतना तो दो पद उनको है कितना?
क्या भारी वह मुझको जितना? पीठ उन्होंने फेरी।
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shringar ras hai isme
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प्रस्तुत पंक्तियों में ' श्रृंगार रस ' का सुंदर वर्णन
है ।
नोट:- श्रृंगार रस का स्थायी भाव ' रति ' है ।
रस अर्थात काव्य का आनंद । काव्य को
पढ़कर पाठक को , जो भी अनुभूति होती है उस
रस जहा जाता है । प्रमुख तौर पर ग्यारह रस
माने गाए है । जिनका नाम कुछ इस प्रकार है:-
• श्रृंगार रस • भक्ति रस • शांत रस
• वात्सल्य रस • वीर रस • हास्य रस
• करुण रस • रौद्र रस • वीभत्स रस
• भयानक रस • अद्भूत रस
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