प्रस्तुत प्रसंग का भावार्थ लिखें रस्सी कच्चे धागे की खींच रही है ना जाने कब सुन मेरी पुकार करें देवो भव सागर पार
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रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने संसार रूपी सागर का वर्णन किया है जिसमे उनके द्वारा किये जाने वाले प्रयास जिनसे वे परमात्मा के निकट जा सके उन्हें उन्होंने कच्चे धागे से खींचने वाले नाव के रूप में बताया है। उन्होंने कच्चे धागे का प्रयोग इसलिए किया है की मनुष्य कुछ समय के लिए ही इस धरती पर रहता है उसके बाद उसे अपना शरीर त्यागना पड़ता है। कवयित्री इस प्रतीक्षा में है की कब प्रभु उनकी पुकार सुनेंगे और इस संसार रूपी सागर से उनका बेड़ा पार लगाएंगे।
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