Hindi, asked by kajalthakur61678, 9 months ago

प्रस्तुत सर्वे में रसखान जी ने ब्रजभूमि के प्रति अपना प्रेम अभिव्यक्त किया है इसी प्रकार आप अपनी स्मृति भूमि प्रतीत अपने विचारों को लिखिए​

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Answered by karanbarua87
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Answer:

संकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्‍यानन धर्म बढ़ावैं।

नैंक हियें जिहि आनत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावैं।

जा पर देव अदेव भू-अंगना वारत प्रानन प्रानन पावैं।

ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।।7।।

सेष, गनेस, महेस, दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं।

जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सुबेद बतावैं।

नारद से सुक ब्‍यास रहैं पचि हारे तऊ पुनि पार न पावैं।

ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।।8।।

गावैं सुनि गनिका गंधरब्‍ब और सारद सेष सबै गुन गावत।

नाम अनंत गनंत गनेस ज्‍यौं ब्रह्मा त्रिलोचन पार न पावत।

जोगी जती तपसी अरु सिद्ध निरंतर जाहि समायि लगावत।

ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत।।9।।

लाय समाधि रहे ब्रह्मादिक योगी भये पर अंत न पावैं।

साँझ ते भोरहिं भोर ते साँझति सेस सदा नित नाम जपावैं।

ढूँढ़ फिरै तिरलोक में साख सुनारद लै कर बीन बजावैं।

ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।।10।।

गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै।

साँवरो नंदकुमार सबै ब्रजमंडली में ब्रजराज कहावै।

साज समाज सबै सिरताज औ लाज की बात नहीं कहि आवै।

ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावै।।11।।

ब्रह्म मैं ढूँढ़्यौ पुरानन गानन बेद-रिचा सुनि चौगुन चायन।

देख्‍यौ सुन्‍यौ कबहूँ न कितूँ वह सरूप औ कैसे सुभायन।

टेरत हेरत हारि पर्यौ रसखानि बतायौ न लोग लुगायन।

देखौ दुरौ वह कुंज-कुटीर में बैठी पलोटत राधिका-पायन।।12।।

कंस कुढ़्यौ सुन बानी आकास की ज्‍यावनहारहिं मारन धायौ।

भादव साँवरी आठई कों रसखान महाप्रभु देवकी जायौ।

रैनि अँधेरी में लै बसुदेव महायन में अरगै धरि आयौ।

काहु न चौजुग जागत पायौ सो राति जसोमति सोवत पायौ।।

Answered by madhukanawat485
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Answer:

Not copied from Google , I answered from guide.

Explanation:

मैं अपनी मातृभूमि से बहुत प्यार करता हूं। में इसी का अन्य ग्रहण कर बड़ा हुआ हूं। इसी के पावन तथा शीतल वायु में सांस लेकर पला बढ़ा हूं। यही की पावन नदियों का जल पीकर प्यास बुझाई है। मुझे या की गौरवशाली प्राचीन संस्कृति का अंग बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। में हर जन्म में यहां की पावन भूमि पर जन्म लेना चाहूंगा। में अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हूं।

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