Hindi, asked by Anonymous, 1 month ago

१.प्रस्ताव लेखन -
त्योहार हमें उमंग एवं उल्लास से भरकर अपनी संस्कृति से जोड़े रखते हैं। आजकल लोगों में त्योहारों को मनाने के प्रति उत्साह एवं आस्था का अभाव क्यों देखा जाता है ।लोगों की इस मानसिकता के कारण बताते हुए जीवन में त्योहारों के महत्व का वर्णन कीजिए।​

Answers

Answered by DarkComet
31

Answer:

हमारा देश भारत सदा से ही त्योहारों का देश रहा है। कुछ त्योहार धार्मिक हैं तो कुछ त्योहार राष्ट्रीय। त्योहार हमारे मन में उत्साह, उमंग एवं प्रसन्नता की उत्पत्ति करते हैं। त्योहारों का आगमन ही हमें उल्लास एवं नवचेतना से परिपूरित कर देता है। वास्तव में त्योहार हमें हमारी सभ्यता एवं संस्कृति से जोड़े रखते हैं तथा जीवन की नीरसता दूर कर उसे अमृतमय बना देते हैं। आजकल लोगों में त्योहारों को मनाने के प्रति उत्साह एवं आस्था का अभाव देखा जाता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जीवन की अतिव्यस्तता एवं स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण आपसी अपनत्व एवं भाईचारा समाप्त होता जा रहा है। जहाँ त्योहारों पर आपस में रंग, जाति, वर्ग भूल कर आपसी प्रेम व हेलमेल के साथ सभी पड़ोसी व सम्बन्धी मिलते थे वहीं आज मोबाइल पर सन्देश भेजकर एवं सामूहिक मिलन प्रवृत्ति को त्याग कर एकाकी परिवारों में ही खुशियाँ मना कर हम त्यौहार मना लेते हैं। कुछ हमारी स्वार्थपरता ने कुछ महँगाई ने त्योहारों के उत्साह को धीमा कर दिया है। होली-दीपावली, दशहरा, ईद या क्रिसमस कोई भी त्योहार क्यों न हो सभी का एक ही सन्देश है-आपसी प्रेम व भाईचारा फैलाना। लेकिन समय की अतिव्यस्तता, कार्यों की अतिशयता, बढ़ती महँगाई, एकाकी परिवार एवं मशीनीकरण से जीते जीवन में अब पहले सा सहानुभूति, लगाव एवं आनंद नहीं रहा। भारतीय त्योहारों में कहीं न कहीं खेती के लहलहाने व श्रमिकों के श्रम के पुरस्कार का मिश्रित रूप सा दिखाई देता है। दीपावली घर-घर में दीपों का प्रकाश आलोकित करता है वहीं दशहरे में बुराई व दुष्टता का प्रतीक रावण जब जलाया जाता है तो जैसे तो पूरे देश में सभी इसका समर्थन सा करते जान पड़ते हैं। रक्षा-बन्धन भाई-बहन के पवित्र सम्बन्ध का प्रतीक है जो सभी के समक्ष रक्षा व सहायता का रूप प्रस्तुत करता है। समय के परिवर्तन ने कहीं न कहीं हमारी इस प्रवृत्ति को धीमा सा कर दिया है। वास्तविक उद्देश्य से भटक हम दिखावे की प्रवृत्ति अपना कर त्योहारो को मनाते हैं। परन्तु आन्तरिक भाव लुप्तप्राय है। देश की संस्कृति की झलक कहीं दृष्टिगोचर नहीं होती। कभी-कभी त्योहारों की आड़ में असमाजिक तत्व मद्यपान एवं अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हैं। इससे त्योहारों की पावनता को ठेस लगती है। यदि इन बुराइयों से बचकर हम त्योहार मनाएं तो इनका वास्तविक आनंद उठा सकते हैं। त्योहारों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। ये हमारी सभ्यता एवं संस्कृति के दर्पण होते हैं। जीवन को रसानुभूति एवं उमंग से तरंगित कर उत्साहवर्द्धन करते हैं। अतः सुख-समृद्धि का प्रतीक बन ये त्योहार हमें बुराई पर भलाई की-असत्य पर सत्य की-अन्याय पर न्याय की जीत की सीख देते हैं।

This is the answer

Similar questions