प्रस्तावना- असहिष्णुता पा
है तथा उसके कारण क्या है ?
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असहिष्णुता किसी अन्य जाति, धर्म और परंपरा से जुड़े व्यक्ति के विश्वासों, व्यवहार व प्रथा को मानने की अनिच्छा हैं। ये समाज में उच्च स्तर पर नफरत, अपराधों और भेदभावों को जन्म देता हैं। ये किसी भी व्यक्ति के दिल और दिमाग में इंकार करने के अधिकार को जन्म देता हैं। ये लोगों को एकता, बिना भेदभाव, स्वतंत्रता और अन्य सामाजिक अधिकारों से जीने की अनुमति नहीं देता। समाज में असहिष्णुता का जन्म जाति, संस्कृति, लिंग, धर्म और अन्य असहनीय कार्यों के द्वारा होता हैं।असहिष्णुता आमतौर पर वो शर्त हैं जिसमें अपने धर्म व प्रथाओं से अलग किसी अन्य धर्म, जाति या संस्कृति की प्रथाओं और मान्यताओं को स्वीकार नहीं करते हैं। संयुक्त राष्ट्र में आयोजित बहुसंस्कृतिवाद सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिभागियों से पूछा गया कि, “हम उनके लिये कैसे सहिष्णु बने जो हमारे लिये असहिष्णु हैं?” निश्चित हालातों में सहिष्णुता सही नहीं हैं हांलाकि इसका यह मतलब नहीं हैं कि सभी बुरे हालातों में कोई एक असहिष्णुता के वातावरण का निर्माण करता हैं। सहिष्णुता उन लोगों का अभिन्न गुण हैं जो विभिन्न समूहों के होते हुये भी एक-दूसरे से सम्मानपूर्वक और समझदारी से जुड़े हुये हैं। ये विभिन्न समूहों के लोगों को अपने मतभेदों को सुलझाने में मदद करता हैं।हम ये नहीं कह सकते कि भारत में असहिष्णुता हैं, ये देश “विविधता में एकता” का सबसे सही उदाहरण हैं। ये अपने अनूठे गुण विविधता में एकता के कारण तेजी से विकास करने वाला देश हैं। ये वो देश हैं जहाँ अलग-अलग जाति, पंथ, धर्म, रिवाज, संस्कृति, परंपरा और प्रथा को मानने वाले वर्षों से बिना किसी भेदभाव के रह रहे हैं। वो अपने त्यौहारों और मेलों को बहुत उत्साह के साथ बिना किसी दूसरे समूह के हस्तक्षेप के मनाते हैं। वो एक दूसरे के धर्म, रिवाज, विश्वास. मान्यता और प्रथा की सही समझ रखते हैं। भारत के नागरिक सहिष्णुता का गुण रखते हैं जो उन्हें जियों और जीने दो की क्षमता प्रदान करता हैं।