प्रसाद जी के अनुसार कथा-साहित्य की मूल चेतना
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जयशंकर प्रसाद
उनकी सांस्कृतिक अभिरूचि और वैयक्तिक भावानुभूति की स्पष्ट छाप के कारण उनके द्वारा रचित कथा-साहित्य अपनी एक अलग पहचान बनाने में पूर्णतः सक्षम हुआ। ... कुल मिलाकर प्रसाद जी का उपन्यास साहित्य उनकी सांस्कृतिक दृष्टि और अनुभूति पर रचना बोध के कारण हिन्दी कथा साहित्य में चिरस्मरणीय बना रहेगा।
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