प्रसाद जी का बचपन संघर्ष में बीता। इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए
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➲ जयशंकर प्रसाद का बचपन संघर्षमय बीता था, क्योंकि उनके मात-पिता की मृत्यु प्रसाद जी बचपन में ही हो गयी थी।
⏩ जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के मूर्धन्य साहित्यकार थे। उनकी काव्य रचना अनमोल और अप्रतिम हैं। वे छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक थे।
जयशंकर प्रसाद का जन्म सन 1889 ईस्वी में काशी में साहू सुंघनी नाम के एक प्रतिष्ठित व्यापारी परिवार में हुआ था। उनके पिता तंबाकू का व्यापार करते थे। उनका आरंभिक जीवन सुखमय बीता, लेकिन थोड़ा बड़े होने पर उनके पिता का देहावसान हो गया और पिता की मृत्यु के कुछ समय बाद उनकी माता जी का भी देहावसान हो गया। इस तरह उनके सर पर से माता पिता का साया उठ गया और अभिभावक के रूप में केवल उनके बड़े भाई ही बचे थे।
जयशंकर प्रसाद का का यहीं से से उनके जीवन का संघर्ष आरंभ होता है। पिता का व्यापार बड़े भाई बेहद कुशलता से नहीं संभाल पा रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने भाई जयशंकर प्रसाद की उचित देखभाल की। जयशंकर प्रसाद ने एक कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रवेश ले लिया था, लेकिन कॉलेज में उनका मन नहीं रमा। बाद में उनकी शिक्षा-दीक्षा घर पर ही आरंभ हुई। यहीं से उन्होंने संस्कृत, हिंदी, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।
जयशंकर प्रसाद के अंदर बचपन से ही काव्य प्रतिभा थी। पहले उन्होंने ब्रजभाषा में काव्य रचना आरंभ कर दी, बाद में उन्होंने खड़ी बोली को अपनाया और खड़ी बोली के शुद्ध हिंदी रूप में काव्य रचनाएं आरंभ की। मात्र 48 वर्ष की अल्पआयु में उनकी मृत्यु हो गयी और वे इस जगत बेहद शीघ्र ही छोड़कर चले गये।
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