प्रस्थिति और भूमिका में बीच अंतर
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Explanation:
प्रस्थिति एक समाजशास्त्रीय अवधारणा है यह एक सामाजिक सांस्कृतिक तथ्य है जबकि भूमिका सामाजिक मनोविज्ञान का विषय एवं प्रघटना हैं ।प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका दूसरे व्यक्ति से भिन्न होती है । इसका एक कारण यह भी है कि समूह एवं संगठन के विकास के साथ-साथ उसके पदाधिकारियों के कार्यों एवं दायित्वों में भी परिवर्तन आ जाता है।
उदाहरण- 1. - प्रस्थिति व भूमिकाएं मिलकर ही समाज व्यवस्था का निर्माण करती हैं और सामाजिक संगठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए इनमें पारस्परिक संतुलन एवं तालमेल होना आवश्यक है।
2. - प्रस्थिति व भूमिकाएं समाज में श्रम विभाजन कर सामाजिक कार्यों को सरल बना देती हैं।
3. ये समाज में सामाजिक नियंत्रण बनाए रखने में योग देते हैं क्योंकि प्रत्येक प्रस्थिति एवं भूमिका से सम्बन्धित सामाजिक प्रतिमान एवं नियम होते हैं और व्यक्ति से उनके अनुरूप आचरण करने की अपेक्षा की जाती है।
4. ये व्यक्ति का समाजीकरण करने में भी योग देते हैं, क्योंकि व्यक्ति के जन्म के पूर्व ही ये समाज में विद्यमान होते हैं और व्यक्ति उनके अनुसार आचरण करना सीखता है।
5. - प्रस्थिति एवं भूमिका व्यक्ति की क्रियाओं का मार्गदर्शन करते हैं और उसे बताते हैं कि किस प्रस्थिति में उसे किस प्रकार की भूमिका निभानी होगी।
Concept Introduction: इस दुनिया में हर किसी की कोई न कोई हैसियत और भूमिका होती है।
Explanation:
We have been Given: प्रस्थिति और भूमिका
We have to Find: प्रस्थिति और भूमिका में बीच अंतर
स्थिति एक समूह के भीतर हमारी सापेक्ष सामाजिक स्थिति है, जबकि एक भूमिका वह हिस्सा है जो हमारा समाज हमें एक निश्चित स्थिति में निभाने की उम्मीद करता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को अपने परिवार में पिता का दर्जा प्राप्त हो सकता है।
Final Answer:
स्थिति एक समूह के भीतर हमारी सापेक्ष सामाजिक स्थिति है, जबकि एक भूमिका वह हिस्सा है जो हमारा समाज हमें एक निश्चित स्थिति में निभाने की उम्मीद करता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को अपने परिवार में पिता का दर्जा प्राप्त हो सकता है।
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