प्रसिद्ध कहानीकार जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
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वह आधुनिक हिंदी साहित्य जगत के बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रमुख हिंदी साहित्यकारों में से एक है। जिन्होंने नाटक, कहानी, उपन्यास तथा निबंध जैसी हिंदी साहित्य की विधाओं को एक ही समय पर अपनी प्रतिभा से प्रकाशित किया। यह हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं, जिन्हें छायावादी युग को स्थापित करने का श्रेय प्राप्त है।
जयशंकर प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी 1889 को उत्तरप्रदेश वाराणसी के काशी में हुआ था। इनके दादा जी का नाम शिव रतन साहू तथा पिता जी का नाम देवीप्रसाद था और इनके बड़े भाई का नाम शंभू रत्न था।
इनके दादा जी तथा पिताजी काशी में तंबाकू का व्यापार करते थे, जिसके कारण इनका परिवार पूरे काशी में सुंघनी साहू के नाम से प्रसिद्ध था। जयशंकर प्रसाद जी के दादाजी भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त और बहुत ही दयालु व्यक्ति थे।
जो दान और धर्म में अधिक विश्वास रखते थे। इनके पिताजी भी बहुत ही उदार, दानी तथा साहित्य से प्रेम करने वाले व्यक्ति थे। जयशंकर प्रसाद जी का बचपन बहुत ही सुख और समृद्धि से व्यतीत हुआ था। इन्होने अपने माता जी के साथ भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों का दर्शन भ्रमण किया था।