प्रसिद्ध सिद्ध रिषिराज तपबृद्ध,
कहि कहि हारे सब कहि न काहू लई ।"
"कारी करि कोकिला कहाँ को बैर कानतिरी,
कूकि कृकि अबही करे जो किन कोरि लै ।
पैडे परे पापी ये कलापी निसि-द्योस ज्यों ही,
चातक! रे घातक है, तू हू कान कोरि लै ।।"
प्रश्न 26 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
"मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज से अलग उसके अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती
परिचित तो बहुत होते है पर मिन बहुत कम हो पाते है क्योंकि मैत्री एक ऐसा गांव है जिसमें प्रेम के स
समर्पण और त्याग की भावना मुख्य होती है। मैत्री में सबसे आवश्यक है परस्पर विश्वास मित्र एक ऐ
सखा। गुरू क्या माता है जो, सबके स्थानों को पूर्ण करता है।
१. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
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