प्रसग- व्यख्या कीजिए
खेलन में को काको गुसैया हरि हरे जीते श्रीदामा बरबस ही कत करत रिसैया जाति पाति हमसे बड़ नाही बसत तुम्हारी छैयां आती अधिकारी जनवाद यातै जातै अधिक तुम्हारै गैया रूठहि करै वासो की सेले रह बौटी - जह- तह खैया
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