English, asked by Anonymous, 3 months ago

प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्रान्तरा-
त्समुद्रमपि सन्तरेत्प्रचलदूमिमालाकुलम्
भुजङ्गमपि कोपितं शिरसि पुष्पवद्धारये-
न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्
॥ explain in English

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Answered by sdev32484
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