पारसमणि पाठ का सारांश अपने शब्दों मे लिखिए
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मूल अवतरण के भावों अथवा विचारों को संक्षेप में लिखने की क्रिया को 'सारांश' कहते हैं। मूल में जो बात विस्तार से कही गयी है, 'सारांश' में उतनी ही बात संक्षेप में, सार-रूप में कहनी या लिखनी पड़ती है। विस्तार और विश्लेषण करने की यहाँ आवश्यकता नहीं। भाषा सरल और सुबोध होनी चाहिए।
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