प्रसन्न रहने की कला क्या है
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ज़ेन और प्रसन्न रहने कि कला हम ही हर अगले पल के सृजनकर्ता हैं "किसी भी कार्य को एक विशेष एकाग्रता, एक शांत और सहज मन के साथ करना ज़ेन की प्रक्रिया कहलाती है. ... ज़ेन और प्रसन्न रहने कि कला हम ही हर अगले पल के सृजनकर्ता हैं "किसी भी कार्य को एक विशेष एकाग्रता, एक शांत और सहज मन के साथ करना ज़ेन की प्रक्रिया कहलाती है.
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माँ अपनी देववाणी से प्रेम और दृढ़ता भरे शब्दों में उन्हें उपदेश देती थीं। इस प्रकार बिस्मिल की आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में माँ ने सदैव सहायता की। संकट के समय में बिस्मिल को अपनी प्रेमभरी वाणी से सांत्वना देती रहती थी, जिससे वे धैर्यशील बन सके थे।
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