प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है यह अपने ही कर्मों से आती है कथन पर अपने विचार लिखिए
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प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नही है ये अपने कर्मों से आती है
प्रसन्नता एक भावना है, ये एक अहसास है। जो हमारे अंदर ही निहित होता है। प्रसन्नता का कोई निश्चित मापदंड नहीं है समय और परिस्थिति के अनुसार ये बदलता रहता है। किसी भूखे के लिए भोजन की प्राप्ति ही उसकी प्रसन्नता का केंद्र बिंदु है जबकि भोजन प्राप्त होने के बाद भोजन की प्राप्ति उसकी प्रसन्नता का केंद्र बिंदु नहीं रहता। अतः प्रसन्नता का भी कोई निश्चित मापदंड नही है।
प्रसन्नता हमें को पहले से दान आदि में नही मिलती बल्कि इसे हमें पैदा करना पड़ता है। ये हमारे कर्मों से ही निर्धारित होती है। हमारी अपेक्षाएं, हमारी इच्छाएं ही हमारी प्रसन्नता का मार्ग तय करती हैं। हम ऐसी इच्छायें रखें जो पूर्ण हो सकें। हम अपनी महत्वाकांक्षाओं को कम कर सकें तो हमारी प्रसन्नता की संभावना बढ़ जाती है।
कभी-कभी हम ऐसे असाध्य कार्यों को करने की इच्छा मन में पाल लेते हैं जिनका पूरा होना संभव नहीं है। और वह हमारे दुख का कारण बनते हैं। इसलिए हम ऐसे कार्य ही ना करें जो हमारे दुख का विषय बनें। हम सकारात्मक सोच के साथ रहेंगे तो हमें सब कुछ सकारात्मक ही दिखेगा जो कि हमारी प्रसन्नता का मुख्य कारण बनेगा।