प्रसनीवेदोगद्यांश दिए गए हैं ।गद्यांश को ध्यान से पढ़े और उस पर आधारित प्रश्रों के विकल्पों में से
।
(5)
उचित विकल्प का चयन करें
आल्मनिर्भरता का अर्थ है -अपने ऊपर निर्भर रहना। जो व्यक्ति दूसरों के मुंह को नहीं ताकत, वे ही आत्मनिर्भर होते
हो आल्मविश्वास के बल पर कार्य करते रहना आत्मनिर्भरता है । आत्मनिर्भरता का अर्थ है -निज समाज तथा राष्ट्र की
आवश्यकताओं की पूर्ति करना ।व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र में आत्मविश्वास की भावना ,आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
स्वावलंबन जीवन की सफलता की पहली सीढ़ी है। स्वावलंबी व्यक्ति, समाज, राष्ट्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता-
प्राप्ति का महामंत्र है यही वीरों तथा कर्मयोगियों का इएदेव हे सर्वांगीण उन्नति का आधार है ।जब व्यक्ति स्वावलंबी
होगा, उसमें आत्म निर्भरता होगी ।स्वावलंबी मनुष्य के सामने कोई भी कार्य आ जाए ,तो वह अपने रद विश्वास से
अपने आत्मबल से उसे अवश्य पूर्ण करने लेगा ।स्वावलंबी मनुष्य जीवन में कभी भी असफलता का मुँह नहीं देखता
वह जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर कामयाब होता जाता है। सफलता तो स्वावलंबी मनुष्य की दासी बनकर रहती है
जिस व्यक्ति का स्वयं अपने आप पर विश्वास नहीं , वह भला क्या कर पाएगा परंतु इसके विपरीत जिस व्यक्ति में
आत्मनिर्भरता होगी वह कभी किसी के सामने नहीं झुकेगा वह जो भी करेगा सोच समझ कर करेगा मनुष्य में सबसे
बड़ी कमी स्वावलंबन का ना होना है और सबसे बड़ा गुण भी आत्मनिर्भरता ही है जिस प्रकार अलंकार काव्य की
शोभा बढ़ाते हैं ,गहने नारी का सौदर्य बढ़ाते हैं, उसी प्रकार आत्मनिर्भरता मानव में अनेक गुणों की प्रतिष्ठा करती है
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