Hindi, asked by kharbegayatri, 3 months ago

प्रसव वेदना सह जब जननी
हृदय स्वप्न निज मूर्त बनाकर
स्तन्यदान दे उसे पालती,
पग-पग नव शिशु पर न्योछावर is Ka saral Arth likhiye​

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Answered by khushiranjan123456
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संदर्भ : यह पंक्ति कवि ' सुमित्रानंदन पंत ' द्वारा रचित कविता

''नहीं कुछ इससे बढ़कर ''के प्रथम खंड की है ।

सरलार्थ : इन पंक्तियों का सरलार्थ यह है कि जननी अर्थात माँ जब प्रसव की अपार कष्टदायक वेदना को सह कर अपने शिशु को जन्म देती है तो वह अपने हृदय के सुंदर सपने को एक साकार रूप प्रदान करती है ।वह बच्चे को स्तन पान करा कर पालन करती है ,अपने शिशु की देखभाल करती है ,उसकी सुंदर बाल सुलभ मासूम मनभावन क्रियाओं पर न्योछावर होती है | माँ से बढ़कर इस संसार में कोई नहीं जिसकी पूजा की जाए ।

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