Hindi, asked by chhabinishad113, 1 month ago

प्रश्न 01. दिए गए पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
गोधन,गजधन,बाजिधन और रतन सब खान ।
जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान ।।​

Answers

Answered by shishir303
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गोधन,गजधन,बाजिधन और रतन सब खान ।

जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान ।।​

संदर्भ : यह दोहा तुलसीदास द्वारा रचित दोहा है जिसमें तुलसीदास ने संतोष रूपी धन की महिमा का वर्णन किया गया है।

व्याख्या :  अर्थात तुलसीदास जी कहते हैं चाहे मनुष्य के पास गाय रूपी धन क्यों ना हो, हाथी रूपी धन क्यों ना हो, घोड़ा रूपी धन क्यों ना हो या मनुष्य के पास अतुल्य रत्नों का भंडार क्यों ना हो, उसे संतुष्टि कभी नहीं मिल सकती। जब तक मनुष्य के पास संतोष रूपी धन नहीं होता, तब तक बाकी सभी धन उसके लिए मिट्टी के समान हैं। संतोष रूपी धन ही सबसे बड़ा धन है।

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Answered by prabhakartiwari851
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Answer:

प्रश्न 01. दिए गए पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

गोधन,गजधन,बाजिधन और रतन सब खान ।

जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान ।।

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