प्रश्न 03. निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ और प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए
"कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय ।
वा खाए बौरात है, या पाए बौराय
।।" संदर्भ प्रसंग और अर्थ
Answers
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय,
या खाए बौराए जग, वा पाए बौराए।
अर्थ ➲ कनक के दो अर्थ है, कनक यानि सोना और कनक यानि धतूरा। धतूरा एक मादक पदार्थ होता है।
कनक यानि सोना कनक यानि धतूरा से अधिक नशीला है, क्योंकि कनक यानि धतूरे को खाने के बाद ही मनुष्य पागल होता है, लेकिन कनक यानि सोने को तो पाकर ही मनुष्य पागल हो जाता है। धन का नशा इतना नशीला होता है, कि उसके पीछे मनुष्य पागल हो जाता है, और धन को पाकर उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।
अर्थात सोना कनक यानी धतूरे से भी सौ गुना अधिक नशीला होता है, क्योंकि धतूरे को तो खाने से नशा होता है, जबकि सोने तो पा लेने मात्र से ही नशा हो जाता है। धतूरे का नशा तो एक बार खाकर थोड़ी देर बाद उतर जाता है, लेकिन सोने का जो नशा चढ़ता है वह आसानी से नहीं उतरता।
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Explanation:
प्रसंग और sandrbh sandarbh ka answer