प्रश्न-1
अधोलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर
लिखिए :
भाषा का प्रमुख गुण है-सृजनशीलता। हिन्दी में सृजनशीलता का अद्भुत गुण
है, आभुत क्षमता है, जिससे यह निरंतर प्रवाहमान है। हिन्दी ही ऐसी भाषा है, जिसमें
समायोजन की पर्याप्त और जादुई शक्ति है। अन्य भाषाओं और संस्कृतियों के शब्दों
को हिन्दी जिस अधिकार और सहजता से जज्ब करती है, उससे हिन्दी की संभावनाएँ
प्रशस्त होती हैं। हिन्दी के लचीलेपन ने अनेक भाषाओं के शब्दों को ही नहीं उसके
सांस्कृतिक तेवरों को भी अपने में समेट लिया है। यही कारण है कि हिन्दी सामाजिक
संस्कृति की तथा विभिन्न भाषा-भाषियों और धर्मावलंबियों की प्रमुख पहचान बन गई
है। अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेजी आदि के शब्द हिन्दी की शब्द सम्पदा में ऐसे मिल गए
हैं, जैसे वे जन्म से ही इस भाषा परिवार के सदस्य हों, यह समाहार उसकी जीवंवता का
प्रमाण है।
A
मानसिकता में कैद होकर नहीं रह
Answers
गद्यांश के साथ कोई प्रश्न नही दिये गये हैं, गद्यांश पर आधारित कुछ प्रश्न और उनके उत्तर इस प्रकार हैं...
(क) उपरोक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
➲ लचीली हिंदी
(ख) हिंदी की समायोजन शक्ति से लेखक का क्या अभिप्राय है?
➲ हिंदी की समायोजन शक्ति से लेखक का अभिप्राय है कि हिंदी अन्य सभी भाषा के शब्दों को सहजता से ग्रहण कर लेती है, वे शब्द हिंदी से में आसानी से समायोजित हो जाते हैं।
(ग) हिंदी भारत की सामाजिक संस्कृति की पहचान कैसे बन गई?
➲ हिंदी के लचीलेपन रुख ने अनेक भाषाओं के शब्दों को ही नहीं बल्कि उस भाषा के सांस्कृतिक तेवरों को भी अपने में समेट लिया है, इसी कारण हिंदी भारत की सामाजिक संस्कृति की पहचान बन गई है।
(घ) हिंदी भाषा के संदर्भ में शुद्धतावादी होने का क्या तात्पर्य है?
➲ हिंदी के शुद्धतावादी रूप से तात्पर्य हिंदी के उस स्वरूप से है, जिसमें वह अन्य किसी विदेशी भाषा के शब्दों को ग्रहण नहीं करें और वह हिंदी देशी भाषाओं और संस्कृत निष्ठ हिंदी हो।
(ङ) आज हमें सबसे संवाद स्थापित करने का अवसर मिला है। हिंदी के संदर्भ में इसे स्पष्ट कीजिए।
➲ हिंदी को सबसे संवाद स्थापित करने का मौका इस तरह मिला कि हिंदी ने शुद्धतावाद की जड़ मानसिकता में कैद ना कह कर वे नए शब्दों को ग्रहण किया। सूचना क्रांति, तकनीकी विकास और विज्ञान के कारण नए-नए शब्दों की उत्पत्ति हुई और हिंदी ने उन शब्दों को सहज रूप से ग्रहण किया। इस कारण हिंदी को सब से संवाद करने का अवसर प्राप्त हुआ।
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