CBSE BOARD X, asked by puppyma8042, 3 months ago

प्रश्न: 1 अधोलिखितं गद्यांश पद्यांश च पठित्वा प्रदत्त प्रश्नानाम्उत्तराणि संस्कृतेन लिखत
गद्यांश

Answers

Answered by manojchauhanma2
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Answer:

ध्यातव्य :

1. किसी कथा, घटना, निबन्ध या महान् व्यक्ति पर आधारित 80 से 100 शब्दों के अनुच्छेदों के लिए 10 अंक निर्धारित हैं । अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न तीन प्रकार से पूछे जायेंगे

(क) अनुच्छेद का उचित शीर्षक ।

(ख) संस्कृत भाषा में प्रश्नोत्तर। इन्हें दो प्रकार से पूछा जा सकता है

एकपदेन-प्रश्न

पूर्णवाक्येन-प्रश्न

(ग) भाषिक-कार्य (व्याकरण सम्बन्धी) प्रश्न – ये प्रश्न कर्तृ-क्रिया पद चयन, कर्तृ-क्रिया अन्विति, विशेष्य-विशेषण अन्विति, सर्वनाम के स्थान पर संज्ञा तथा संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम प्रयोग, पर्याय एवं विलोम पदों पर आधारित होंगे ।

पाठ्य पुस्तक में प्रदत्त गद्यांश

अधोलिखित गद्यांशं पठित्वा तदाधारित प्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखन्तु ।

(नीचे लिखे गद्यांश को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखो)

(1) यदि वयं समाजे राष्ट्रे वा परिवर्तनम् आनेतुम् इच्छामः तर्हि अस्माकं प्रभावः अन्येषाम् उपरि भवेत् । वयं बाह्य वातावरणेन कुप्रभाविता न स्याम्, अपितु वातावरणस्य उपरि अस्माकं प्रभावः स्यात् । अत्र काचिद् एका कथा एवमस्ति-

कश्चन कृषक: महिष्याः अस्वास्थ्य-निवारणाय कञ्चित् पशुवैद्यम् औषधं पृष्टवान् । वैद्यः गुलिका दत्तवान् किञ्च उक्तवान् यत् एकस्यां नलिकायां गोलिकाः स्थापयित्वा भवान् स्वमुखेन वायु फूत्करोतु तदा गुलिकाः महिष्याः उदरे गमिष्यन्ति इति । कृषकः अस्तु इति उक्त्वा गतवान् । दिनद्वयानन्तरं सः वैद्य तं कृषकं मार्गे अस्वस्थरूपेण गच्छन्तं दृष्टवान् । कि सञ्जातमिति पृष्टे सति सः कृषकः उक्तवान्- तया नलिकया अहं फूत्करोमि ततः पूर्व महिष्या एव फूत्कृतम्, परिणामतः गुलिकाः मम उदरं गताः । इति । अनया कथया बोध्यते यत् बाह्य वातावरणस्य कुप्रभावः येषामपुरि न भवति, ते एव सफलाः भवन्ति। नेतारः मार्गदर्शकाः, समाजशोधकाः च बाह्य दूषितं वातावरण परिवर्तयन्ति, न तु स्वयं तेन दूषितेन वातावरणेन प्रभाविताः भवन्ति ।

(यदि हम समाज में अथवा राष्ट्र में परिवर्तन लाना चाहते हैं तो हमारा प्रभाव दूसरों पर होना चाहिए । हम बाह्य वातावरण से प्रभावित न हों, अपितु वातावरण के ऊपर हमारा प्रभाव होना चाहिए। यहाँ कोई एक कथा इस प्रकार है।

कोई किसान भैंस की अस्वस्थता निवारण के लिए किसी पशुओं के चिकित्सक के पास गया । वैद्य ने गोलियाँ दे दीं, कुछ कहा कि एक नली में गोलियाँ रखकर आप अपने मुँह से हवा फेंक देना तब गोलियाँ भैंस के पेट में चली जायेंगी । किसान, ठीक है, ऐसा कहकर चला गया । दो दिन बाद उन वैद्य जी ने उस किसान को रास्ते में अस्वस्थ रूप में जाते हुए को देखा । ‘क्या हो गया ।’ ऐसा पूछने पर वह किसान बोला- उस नली से (जैसे ही) मैं फैंक देता हूँ उससे पहले ही भैंस ने फेंक मार दी, परिणामस्वरूप गोलियाँ मेरे पेट में चली गईं । इस कथा से बोध होता है कि ब्राहरी वातावरण का बुरा प्रभाव जिनके ऊपर नहीं होता है वे ही सफल होते हैं । नेता, मार्गदर्शक और समाज सुधारक बाह्य दूषित वातावरण को बदलते हैं। न कि स्वयं इसे दूषित वातावरण से प्रभावित होते हैं ।)

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