प्रश्न 1, भयाकुलचित्तः कः नष्टः ? "
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बुद्धिर्बलवती सदा
प्रस्तुत पाठ शुकसप्ततिः नामक प्रसिद्ध कथाग्रन्थ से सम्पादित कर लिया गया है। इसमें अपने दो छोटे—छोटे पुत्रों के साथ जंगल के रास्ते से पिता के घर जा रही बुद्धिमती नामक नारी के बुद्धिकौशल को खाया गया है जो सामने आए हुए शेर को डरा करभगा देती है। इस कथाग्रन्थ में नीतिनिपुण शुक और सारिका कहानियों के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से सद्वृत्ति का विकास कराया गया है।
अस्ति देउलाख्यो ग्रामः। तत्र राजसिंहः नाम राजपुत्रः वसतिस्म। एकदा केनापि आवश्यककार्येण तस्य भार्या बुद्धिमती पुत्रद्वयोपेता पितुर्गृहं प्रति चलिता। मार्गे गहनकानने सा एकं व्याघ्रं ददर्श। सा व्याघ्रमागच्छन्तं दृष्ट्वा धार्ष्ट्यात् पुत्रौ चपेटया प्रहृत्य जगाद-“कथमेकैकशो व्याघ्रभक्षणाय कलहं कुरुथः? अयमेकस्तावद्विभज्य भुज्यताम्। पश्चाद् अन्यो द्वितीयः कश्चिल्लक्ष्यते।”
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भयाकुलचित्तः कः नष्टः ? "