प्रश्न 1. 'एक कहानी यह भी' के आधार पर लेखिका मन्नू भण्डारी के
बालजीवन के संस्मरण संक्षेप में लिखिए।
(2019)
श्रीम
सोसे
Answers
Answer:
Mannu bhandari ka janm 3 April ko hau tha. Madhya pradesh mein mandsor jile ke bhanpura gaw mein janmi mannu ka bachpan ka nam mahendra kumari tha lekhan ke liye unhone mannu nam ka chunnao kiya. unhone ma tak shiksha payi warsho tak delhi ke miranda house mein teacher rhi.
Answer:
Explanation:
एक कहानी यह भी पुस्तक में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपने लेखकीय जीवन की कहानी उतार दी है। यह उनकी आत्मकथा तो नहीं है, लेकिन इसमें उनके भावात्मक और सांसारिक जीवन के उन पहलुओं पर भरपूर प्रकाश पड़ता है जो उनकी रचना-यात्रा में निर्णायक रहे। एक ख्यातनामा लेखक की जीवन-संगिनी होने का रोमांच और एक जिद्दी पति की पत्नी होने की बाधाएँ, एक तरफ अपनी लेखकीय जरूरतें (महत्त्वाकांक्षाएँ नहीं) और दूसरी तरफ एक घर को सँभालने का बोझिल दायित्व, एक मधुर आम आदमी की तरह जीवन की चाह और महान उपल्ब्धियों के लिए ललकता, आसपास का साहित्यिक वातावरण—ऐसा कई-कई विरोधाभासों के बीच से मन्नूजी लगातार गुजरती रहीं, लेकिन उन्होंने अपनी जिजीविषा, अपनी सादगी, आदमीयत और रचना-संकल्प को नहीं टूटने दिया। आज भी जब वे उतनी मात्रा में नहीं लिख रही हैं, ये चीजें उनके साथ हैं, उनकी सम्पत्ति हैं। यह आत्मस्मरण मन्नूजी की जीवन-स्थितियों के साथ-साथ उनके दौर की कई साहित्यिक-सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी रोशनी डालता है और नई कहानी दौर की रचनात्मक बेकली और तत्कालीन लेखकों की ऊँचाइयों-नीचाइयों से भी परिचित करता है। साथ ही उन परिवेशगत स्थितियों को भी पाठक के सामने रखता है जिन्होंने उनकी संवेदना को झकझोरा।[1]
मन्नू जी की यह कहानी, उनकी लेखकीय यात्रा के कोई छोटे मोटे उतार चढ़ावों की ही कहानी नहीं है, अपितु जीवन के उन बेरहम झंझावातों और भूकम्पों की कहानी भी है, जिनका एक झोंका, एक झटका ही व्यक्ति को तहस नहस कर देने के लिए काफ़ी होता है। मन्नू जी उन्हें भी झेल गईं। कुछ तड़की, कुछ भड़की -फिर सहज और शान्त बन गईं। आज उन्हीं संघर्षों के बल पर वे उस तटस्थ स्थिति में पहुँच गई हैं, जहाँ उन्हें न दुख सताता है, न सुख ! एक शाश्वत सात्विक भाव में बनीं रहती हैं और शायद इसी कारण वे फिर से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हो गई हैं।[2]