Hindi, asked by anuajmani82, 10 months ago

प्रश्न 1 कोरोना वायरस केआने से भारतीय संस्कृति की नमस्ते को क्यों महत्व दिया जा रहा है ?
उत्तर
प्रश्न 2 नमस्ते को अपनाने वाले किन्ही दस देशो के नाम लिखिए ?
प्रश्न 3 आर्य समाज के पहले चार नियम याद करिए और लिखिए ?
उत्तर
प्रश्न 4 स्वामी दयानन्द सरस्वती जी केजीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ लिखिए तथा उनके जीवन से आपको क्या शिक्षा मिलती है , विस्तार से
वर्णन कीजिए?
प्रश्न 5 वेद कितने है उनके नाम लिखिए ?
प्रश्न 6 महात्मा गाँधी ने बचपन में दो नाटक देखे थे पहला "श्रवण कुमार" और दूसरा " राजा हरीशचंद्र ", उन्होंने इन नाटकों से प्रभावित होकर अपने जीवन में क्या - क्या परिवर्तन किए , विस्तार से लिखिए ?
उत्तर​

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Answered by KingzSlayer
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Answer:

Explanation:

प्रिंस चाल्र्स कार से उतरे और स्वागत करने वाले कि तरफ हाथ बढ़ाया मगर हाथ मिलाते-मिलाते हाथ पीछे खींच लिया और फिर हंसते हुए नमस्ते की…।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों एक फंक्शन में गए। वहां मौजूद खास लोगों ने स्वागत के लिए हाथ आगे बढ़ाए लेकिन उन्होंने गहरी मुस्कान के साथ सबके सामने दोनों हाथ जोड़ते हुए नमस्ते की…। इजऱाइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बाकायदा टीवी पर हाथ जोड़ते हुए लोगों से अपील की कि वो नमस्ते के भारतीय तरीके को अपनाएं। और तो और दुनिया के सबसे शक्तिशाली शख्स अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर को नमस्ते करके उनका अभिवादन किया। लियो ने भी नमस्ते का जवाब नमस्ते से दिया।

इस तरह की वीडियो आजकल सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर खूब चल रही हैं। दुनिया की ये बड़ी हस्ती सिर्फ हाथ जोड़ ही नहीं रहीं बल्कि खुलेआम भारत का नाम लेकर भारतीय नमस्ते को अपनाने की अपील भी कर रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने साफ कहा है कि वर्तमान में कोरोना वायरस जैसी परिस्थिति को देखते हुए यही उपयुक्त है। भारत में भी लोग ऐसा ही करते हैं।

कोरोना के खौफ को देखते हुए इस समय दुनिया भर में लोग अभिवादन के लिए भारतीय संस्कृति का सहारा ले रहे हैं और नमस्ते कर रहे हैं। अपने मेहमानों, दोस्तों का स्वागत करने के लिए नमस्ते करने वालों में आम लोग तो हैं ही, तमाम राष्ट्राध्यक्ष भी इसमें शामिल हैं। ऐसे में ये विचार ज़रूर किया जाना चाहिए कि नमस्ते के साथ-साथ क्या अन्य भारतीय परम्पराएं भी कोरोना जैसी भयानक आपदा से बचाव में सहायक हो सकती हैं?

ये बातें उत्साहित करने वाली हैं कि जब ओवल हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यालय) में पत्रकारों ने पूछा कि वे कैसे एक-दूसरे का अभिवादन करेंगे, तब ट्रंप और वराडकर ने हाथ जोड़ कर एक-दूसरे को नमस्ते किया। ट्रंप ने कहा, ‘आज हम हाथ नहीं मिलाएंगे। मैं हाल ही में भारत से लौटा हूं और वहां किसी से हाथ नहीं मिलाया। वहां ये आसान था क्योंकि वे ऐसे ही अभिवादन करते हैं।

ऋचा उपाध्याय की एक अच्छी इस विषय मे नजऱ आई। उन्होंने लिखा है- ‘एक अनजान वायरस ने विश्व इकोनॉमी को औंधे मुंह गिरा दिया। चीन पांच साल पीछे चला गया। दुनिया भर को फतेह करने का ख्वाब देखने वाले चीन के वो सभी प्रोजेक्ट बंद हो चुके हैं जो उसने पच्चीस से ज्यादा देशों में चला रखे हैं। वूहान जैसे कई शहर वीरान हो गए हैं। ईरान, इटली का भी बुरा हाल है। दस करोड़ से अधिक लोग अपने ही घरों में कैद हैं। हजारों मारे गए। खरबों डॉलर का नुकसान चीन झेल रहा है। दुनिया को समझना होगा कि भारत में प्रकृति की पूजा हजारों सालों से यूं ही नहीं होती आई है। सनातन अगर नदियों, पेड़ों, पहाड़ों, सूर्य, बादल व हवा आदि को पूजनीय बताता है तो इसका ठोस वैज्ञानिक कारण है। धरती को बचाना है तो मानव मात्र की सभी सभ्यताओं को सनातन की शीतल छांव में आना ही होगा।

सनातनी परम्परा में प्रतिदिन घर घर मे हवन हुआ करते थे। आज भी धार्मिक अनुष्ठानों में हवन शामिल है। धार्मिक अनुष्ठान से हवन शायद इसलिए जोड़ दिया गया जिससे लोग धर्म के नाम से ही सही, हवन करें और पर्यावरण साफ हो सके। कोई भी वायरस एक खास तरह के वातावरण में डेवलप होता है। अगर हवा शुद्ध रहे, हम खुद साफ-सुथरे रहें, अंदर से सात्विक रहें, बेवजह लोगों के करीब ना जाएं तो भारतीय परंपराओं की इन मूल चीजों के कारण हम काफी हद तक बीमारियों से बच सकते हैं। इस समय दुनिया के तमाम शक्तिशाली लोग भी नमस्ते के माध्यम से भारतीय सभ्यता व संस्कृति के महत्व को बता रहे हैं।

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