प्रश्न 1.
(खण्ड अ)
पाठ्यपुस्तक की कविता 'विजय गान' कविता में 'बरस रही बाधाएँ पथ में पंक्ति में बरस और बाधाएँ शब्दों के प्रारंभ
'ब' वर्ण की आवृत्ति हुई है। कविता की जिन पंक्तियों में समान वर्णों की आवृत्ति हुई है, उन्हें खोजकर लिखिए।
उत्तर-
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Answer:
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प्रश्न :- पाठ्यपुस्तक की कविता 'विजय गान' कविता में 'बरस रही बाधाएँ पथ में पंक्ति में बरस और बाधाएँ शब्दों के प्रारंभ 'ब' वर्ण की आवृत्ति हुई है। कविता की जिन पंक्तियों में समान वर्णों की आवृत्ति हुई है, उन्हें खोजकर लिखिए ?
उत्तर-
कविता 'विजय गान' :-
सम्हल-सम्हल कर चलो वीरवर,
तलवारों की धारों पर !
इधर-उधर हैं खाई-कुएँ, ऊपर है सूना अम्बर
बरस रहीं बाधाएँ पथ में,
उमड़-उमड़ कर धारों से ।
वीर, सिन्धु के पार उतरते,
प्राणों की पतवारों से ।
टकराने दो सिन्धु-हिमाचल,
सूर्य-चन्द्र अवनी-अम्बर ।
सम्हल-सम्हल कर चलो वीरवर,
तलवारों की धारों पर ।
पापों से संतप्त धरा का
पाप, ताप में जलने दो ।
घुमड़-घुमड़ कर नभ मंडल को
नित अंगार उगलने दो ।
जल जाएगा पाश पुराना, परवशता अंचल जर्जर ।
सम्हल-सम्हल कर चलो वीरवर तलवारों की धारों पर ।
छूने पाए मोह न तुमको,
बनो तपस्वी! लौह हृदय । काल स्वयं डर जाय देखकर,
ध्रुव से भी ध्रुवतर निश्चय । हो अगस्त्य,
क्या कठिन सुखाना बाधा का दुर्दम सागर ।
सम्हल-सम्हल कर चलो वीरवर तलवारों की धारों पर ।
इस कविता में की जिन पंक्तियों में समान वर्णों की आवृत्ति हुई है , वह है :-
- 'प्राण - पतवार' में :- ‘प’ वर्ण की ।
- ‘अवनी - अम्बर’ में :- ‘अ’ वर्ण की ।
- ‘पाप - ताप’ में :- ‘प’ वर्ण की ।
- ध्रुव से ध्रुवतर में :- ‘ध्रु’ एवं व वर्ण की ।