प्रश्न 1- मंजूषातः उचित पदानि चित्वा पत्रं पूरयतु- (1)………… प्रधानाचार्यमहोदया, आदर्श-राजकीय-उच्चमाध्यमिक-विद्यालयः दिल्लीनगरम्। विषयः–दिनत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थनापत्रम् । महोदयाः, (2)………. निवेदनमस्ति यत् (3) …….. भवत्याः विद्यालये दशमी (4)……….. छात्रः अस्मि । परश्वः मम (5)…………. विवाहोत्सवः अस्ति । अतः अहं त्रीणि (6)………. यावत् विद्यालयं न आगन्तुं (7)……… । कृपया (8)……… कृते 6.11.20 तः 8.11.20 दिनांकपर्यन्तम् (9)……… स्वीकरिष्यति इति विश्वासो वर्तते।
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अपने विचारों और भावों के आदान-प्रदान करने के लिए पत्र प्रमुख माध्यम है। हमारे जीवन में अनेक ऐसे अवसर होते हैं। जब हम पत्र लिखने को तत्पर हो जाते हैं। पत्र की अपनी एक विशेषता भी है कि जिन भावों को हम प्रत्यक्ष रूप से अथवा दूरभाष (टेलिफोन) के माध्यम से भी नहीं कह सकते हैं उन्हें पत्र के माध्यम से भेज सकते हैं।
दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए तथा अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र एक साधन है। इसके अतिरिक्त अन्य कार्यालयी कार्यों के लिए भी पत्र लिखे जाते है।
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