Hindi, asked by ashchauhan0007, 3 months ago

प्रश्न 1---निम्लिखित गद्यांश को ध्या पूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए--(5m)

मुष्य अप े भाग्य का निर्माता है। यदिर्दे वह पुरुषार्थी है धैर्यवा है,साहसी है और अप े

लक्ष्य की प्रा प्ति केलिए म ,कर्म और वच से एकजुट होकर कदिE परिश्रम करता है, तो

सफलता स्वयं ही उसके क र्देम चूमती है।कर्मE मुष्य सर्देैव कार्यरत रहता है ।परिश्रम करे

पर भी य दिर्दे सफलता हीं मिलती तो वह धैर्यहीं छोड़ता, समस्या से जूझता है ,संघर्ष

करता है ;फिर का र्यकरता है ।आलसी लोग ही सफलता को भाग्य का ाम र्देेते हैं।

अकर्मण्यता म ुष्य को कु छ हीं र्देेती। पुरुषार्थतो करा ही पड़ेगा अप े गंतव्य केलिए

माव को निरंतर प्रयत् रत रहा चाहिए।

*मुष्य का भाग्य कौ बा सकता है?
*कौ सा मुष्य सफलता प्राप्त करता है?

*कौ सा मुष्य सर्देैव कार्यरत रहता है?

*हमें धै र्यकब हीं छोड़ा चाहिए?

*अप े गंतव्य केलिए माव को क्या करा चाहिए?​

Answers

Answered by latasharmavrindavan8
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Answer:

मनुष्य अपना भाग्य स्वयं बना सकता है ।

जो व्यक्ति लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर्म और वच से एकजुट होकर कठिन परिश्रम करता है , उसे सफलता प्राप्त होती है।

कर्म करने वाला मनुष्य सदैव कार्यरत रहता है।

जब मनुष्य को सफलता नही मिलती है तब मनुष्य को धैर्य ही छोड़ता है।

अपने गंतव्य के लिए मनुष्य को निरंतर प्रयत्न करने चाहिए।

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