प्रश्न: 1 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिण (5)
जनसंख्या की वृद्धि भारत के लिए आज एक विकट समस्या बन गई है। यह समाज की सुख-संपन्नता
के लिए एक भयंकर चुनौती है।महानगरों में कीड़े मकोड़ों की भाति अस्वास्थ्यकर घोसलों में आदमी भरा
पड़ा है। न धूप न हवा न पानी, न दवा। पीले दुर्बल, निराश चेहरे। यह संकट अनायास ही नहीं आया है
संतान को ईश्वरीय विधान और वरदान मांगने वाला भारतीय समाज ही इस रक्त बिजी संस्कृति के लिए
जिम्मेदार है। चाहेखिलाने को रोटी और पहनाने को वस्त्र ना दें, शिक्षा को शुल्क और रहने का छप्पर
ना हो, लेकिन अधभूके, बच्चों की कतार खड़ी करना हर भारतीय अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता
है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष 1 ऑस्ट्रेलिया यहाँ की जनसंख्या में जुड़ता चला जा रहा है। यदि इस
जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण ना हो सका तो हमारे सारे प्रयोजन और आयोजन व्यर्थ हो जाएंगे। धरती
पर पैर रखने की जगह नहीं बचेगी।
जब किसी समाज के सदस्यों की संख्या बढ़ती है, तो उसे उनके भरण-पोषण के लिए जीवन उपयोगी
वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है। परंतु वस्तुओं का उत्पादन तो गणितीय क्रम से होता है और जनसंख्या
रेखा गणित की दर से बढ़ती है। फल स्वरुप जनसंख्या और उत्पादन दर में चोर सिपाही का खेल
शुरू
जाता है। आगे आगे जनसंख्या दौड़ती है और पीछे पीछे उत्पादन वृद्धि। वास्तविकता यह है कि उत्पादन
वृद्धि के सारे लाभ को जनसंख्या की वृद्धि व्यर्थ करा देती है। देश वहीं का- वहीं पड़ा रहा रहता है।
वस्तुएं अलभ्य हो जाती हैं। महंगाई निरंतर बढ़ती है। जीवन स्तर गिरता जाता है। गरीबी, अशिक्षा,
बेकारी बढ़ती चली जाती है।
बड़ा परिवार एक 'ओवरलोडेड' गाड़ी के समान होता है, जिसे खींचने वाले कमाओ घोड़े अपनी जिंदगी की
रोटी, कपड़ा और मकान की चिंता में होम कर देते हैं, फिर भी पेट खाली के खाली, परिजन बिना वस्त्रों
के दिखाई देते हैं। परिवारिक जीवन क्लेश में हो जाता है। आखिर समाज के मंगल की इस विनाशीका
जनसंख्या वृद्धि से कैसे मुक्ति मिले? सीधा सा उत्तर है कि जनसंख्या पर नियंत्रण हो। कम संतानें पैदा
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हो। इस देश के रूडी ग्रस्त और अंधविश्वासी समाज को यह विचार चौंकाने वाला और ईश्वरीय अपराध
तुल्य प्रतीत होना ही चाहिए, क्योंकि उन्हें तो बताया गया है कि संतान तो भगवान की देन है।
(क) जनसंख्या में वृद्धि आज विकट समस्या कैसे बन गई है?
(ख) भारत में बढ़ती जनसंख्या के लिए कौन जिम्मेदार है?
K2
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क - जनसंख्या की वृद्धि भारत के लिए आज एक विकट समस्या बन गई है। भारत में जनसंख्या विस्फोट का असर अब दिखाई देने लगा है। हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं और दैनंदिन जीवन मुश्किल में पड़ने लगा हैभूखों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। विकास कार्य सिकुड़ रहे हैं। रोटी, कपड़ा और मकान की बुनियादी सुविधाओं की बात करना बेमानी हो गया है। विकास का स्थान विनाश ने ले लिया है।
ख- भारत में बढ़ती जनसंख्या के लिए देश के नागरिक और सरकार जिम्मेदार है
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उपयुक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए
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