प्रश्न 1:- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों का उचित विकल्प चुनिए:-
मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं – रिक्शेवाले, मजदूर, फेरीवाले, कबाड़ी वाले। आना-जाना लगा ही रहता है । लोग कहते हैं – “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदगी फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है ।” मैं उनकी बातों को हल्के में ही लेता हूँ । मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं ।अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते हैं और खाकर चले जाते हैं । ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग हैं जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए हैं । ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं । लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का स्वर नहीं आया । अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबल खाती है । असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है । मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ । बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है । खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है । आज भी उस मिट्टी को झाड़झुड कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता । वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेरे भीतर बसी हुई है । इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं । इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता । दुसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दुसरे के दुःख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं । ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी प्रतीत नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं ।कल के गुस्से को अगले दिन धुल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।
क. इस दुनिया में कहा-सुनी होती है” – ‘इस दुनिया’ का संकेत है :
1. गाँव से शहर आ बसे गरीब
2.शहर से गाँव आ बसे मजदूरों की दुनिया
3.लेखक को उकसाने वाला पड़ोस
4.अमीर किंतु अशिष्ट लोग
ख. प्रस्तुत गद्यांश साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आएगा
1.कहानी
2. जीवनी
3.संस्मरण
ग. साधारण बात पर भी हंगामा कौन खड़ा कर देते हैं?
1. लेखक के परिचित लोग
2. अशिष्ट रेहड़ी-पटरी वाले
3. गाँव से आए गरीब मजदूर
4. अमीर किन्तु असभ्य लोग
घ. लेखक लोगों की शिकायतों को हल्के में लेता है, क्योंकि :
1. शिकायत करना लोगों की आदत होती है
2. वह किसी बात को गंभीरता से नहीं लेता
3. लेखक उन्हें जानता-पहचानता है
4. जुटने वाले लोग गरीब और ईमानदार हैं
ड. लेखक से क्यों पूछते हैं कि क्या आपको बुरा नहीं लगता?
1. वे लोग आसपास गंदगी बिखेर देते हैं
2. वे लेखक से रुष्ट रहते हैं ।
3. उन्हें गरीबों से मेल-जोल पसंद नहीं
4. वे गंदे लोग हैं
Answers
Answer:
१.गाँव से शहर आ बसे गरीब
२.जीवनी
३.अमीर किन्तु असभ्य लोग
४.जुटने वाले लोग गरीब और ईमानदार हैं
५.उन्हें गरीबों से मेल-जोल पसंद नहीं
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Answer:
क. गाँव से शहर आ बसे गरीब
ख. संस्मरण
ग. लेखक उन्हें जानता-पहचानता है
घ. जुटने वाले लोग गरीब और ईमानदार हैं
ड. वे लोग आसपास गंदगी बिखेर देते हैं
Explanation:
क. “इस दुनिया में कहा-सुनी होती है” – 'इस दुनिया' का संकेत है :
इसका सही जवाब है :
आज के समय के गाँव से लोग शहरों की तरफ़ जा रहे है| अपने परिवार का निर्वाह करने के लिए वह शहरों में बस रहे है| शहरों में गाँव से आए हुए गरीब की मीर लोगों से रोज कहा-सुनी हो जाती है| जैसे रिक्शे वाले , रेड़ी लगाने वाले ,मजदूर, फेरीवाले, कबाड़ी वाले आदि |
लेकिन यह लोग बातों को दिल में नहीं लेते है | यह यहाँ काम करने आए होते है| दुसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दुसरे के दुःख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं|
ख. "किसी घटना, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का स्मृति के आधार पर कलात्मक वर्णन करना संस्मरण कहलाता है।" यहाँ पे लेखक के द्वारा एक जीवन की छोटी सी घटना के बारे में बताया गया है। अतः स्पष्ट है कि यहाँ पर साहित्य की संस्मरण विधा का प्रयोग किया गया है।
ग. अमीर किन्तु असभ्य लोग जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं । लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का स्वर नहीं आया है ।
घ. लेखक लोगों की शिकायतों को हल्के में लेता है, क्योंकि : जुटने वाले लोग गरीब और ईमानदार हैं
ड. लेखक से क्यों पूछते हैं कि क्या आपको बुरा नहीं लगता: वे लोग आसपास गंदगी बिखेर देते हैं
#SPJ3