प्रश्न-1 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
समय-2.5घंटे
अधि अंक-50
5
आत्मनिर्भरता का अर्थ है-अपने ऊपर निर्भर रहना, जो व्यक्ति दूसरे के मुंह को नहीं ताकते वहीं आत्मनिर्भर होते हैं। वस्तुतः आत्मविश्वास के बल पर कार्य करते रहना आत्मनिर्भरता है। आत्मनिर्भरता का अर्थ है-समाज,निज और राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करना।व्यक्ति,समाज तथा राष्ट्र में आत्मविश्वास की भावना, आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। स्वाबलंबन जीवन की सफलता की पहली सीढ़ी है। सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को स्वावलंबी अवश्य होना चाहिए। स्वावलंबन व्यक्ति, समाज, राष्ट्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है । स्वाबलंबन जीवन का अमूल्य आभूषण है। वीरो तथा कर्मयोगियों का इष्टदेव है। सर्वांगीण उन्नति का आधार है। जब व्यक्ति स्वाबलंबी होगा, उसमें आत्मनिर्भरता होगी, तो ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे वह ना कर सके। स्वाबलंबी मनुष्य के सामने कोई -भी कार्य आ जाए, तो वह अपने दृढ़ विश्वास से अपने आत्मबल से उसे अवश्य ही संपूर्ण कर लेगा। स्वाबलंबी मनुष्य जीवन में कभी भी असफलता का मुंह नहीं देखता। वह जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर कामयाब होता जाता है। सफलता तो स्वाबलंबी मनुष्य की दासी बनकर रहती है। जिस व्यक्ति का स्वयं अपने आप पर ही विश्वास नहीं वह भला क्या कर पाएगा? परंतु इसके विपरीत जिस व्यक्ति में आत्मनिर्भरता होगी, वह कभी किसी के सामने नहीं झुकेगा। वह जो करेगा सोच समझकर धैर्य से करेगा। मनुष्य में सबसे बड़ी कमी स्वावलंबन का ना होना है। सबसे बड़ा गुण भी मनुष्य की आत्मनिर्भरता ही है।
क स्वावलंबन किसका आधार है ?
ख आत्मनिर्भरता से आप क्या समझते हैं ?
ग जीवन में स्वावलंबन क्यों जरूरी है ?
घ सफलता स्वावलंबन की दासी क्यों है ? ड व्यक्ति के लिए आत्मनिर्भरता क्यों आवश्यक है ?
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Answer:
hi bro write in shot sentence u like my comment mark as brainlist
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