Hindi, asked by panchevaishnavi976, 9 months ago

प्रश्न 1.निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
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तुम हमें बड़ा आदमी समझते हो। हमारे नाम बड़े हैं पर दर्शन थोड़े। गरीब में अगर ईर्ष्या या बैर है
तो स्वार्थ के लिए या पेट के लिए ऐसी ईर्ष्या या बैर को में क्षम्य समझता हूँ। हमारे मुहँ की रोटी कोई छीन
ले, तो उसके गले में उंगली डालकर निकालना हमारा धर्म हो जाता है। अगर हम छोड़ दें तो देवता हैं। बड़े
आदमियों की ईर्ष्या और बैर केवल आनंद के लिए है। हम इतने बड़े आदमी हो गये हैं कि हमें नीचता और
कुटिलता में ही निःस्वार्थ और परम आनंद मिलता है। हम देवतापन के उस दर्जे पर पहुँच गए हैं। जब हमें
दूसरों के रोने पर हँसी आती है। इसे तुम छोटी साधना मत समझो”।
निकास पर एक निबन्ध लिखिए।​

Answers

Answered by santig110900
1

Answer:

uhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh

Answered by varshabisen759
0

Answer:

सीएफएफजीजीजीटीजीडीसीसीएफजीजीजीएचएचएचएचएचएचएचएचएचएचआईएचएचएचएचएच

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