प्रश्न-1 निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हमारे समाज में बहुत-से लोग भाग्यवादी होते हैं और सब कुछ भाग्य के भरोसे छोड़कर कर्म से विरत हो बैठते हैं। ऐसे ही
व्यक्ति समाज को प्रगति के पथ पर अग्रसर नहीं होने देते। आज तक किसी भाग्यवादी ने संसार में कोई महान कार्य नहीं किया।
बड़ी-बड़ी खोजें, बड़े-बड़े आविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण के कार्य श्रम के द्वारा ही संपन्न हो सके हैं। हमारी प्रतिभा में प्रेरित कर
सकती है, हमारा पथ-प्रदर्शन कर सकती है, जबकि लक्ष्य तक हम कर्म द्वारा ही पहुँचते हैं। जब हम परिश्रम से अपने कर्तव्य का ।
पालन करते हैं, तो हमारे मन को अलौकिक आनंद मिलता है। ऐसे व्यक्ति के लिए उसका परिश्रम ही उसकी पूजा है। यदि हम
अपने कार्य में ईमानदारी से श्रम नहीं करते, तो हमारे मन में एक प्रकार का भय समाया रहता है। कभी-कभी तो हम ग्लानि का
अनुभव भी करते हैं।
प्रश्न-1 किस प्रकार के व्यक्ति भाग्यवादी होते हैं ?
प्रश्न-2 भाग्यवादी व्यक्तियों का समाज की प्रगति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
प्रश्न-3 लक्ष्य प्राप्ति में प्रतिभा और कर्म का क्या योगदान होता है?
प्रश्न-4 ईमानदारी से काम न करने का हमारे हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
प्रश्न-2 निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
जब से मुझे याद है, मैं देख रहा हूँ, यह नीम का पेड़ इसी तरह खड़ा है। मोटा तथा खुरदरा तना, दो मोटी जड़ें ज़मीन से ऊपर ।
उठकर नीचे गहरी चली गई हैं। ये जड़ें हम सभी की कुर्सियाँ हैं। हम चारों इन पर बैठकर गप्पें लड़ाते हैं। पेड़ दादा कभी-कभी ।
हमारी भोली बातों पर हँसकर मीठी पंकी निबोरियाँ हमें देते हैं। कभी-कभी छोटी-छोटी टहनियों से हमें डाँटते हुए कहते हैं- बैठे।
रहोगे, पढ़ोगे नहीं ? गर्मियों में अपनी घनी पत्तियों से हमारे ऊपर ठंडी छाया करते हैं। दूर तक फैली हुई शाखाओं और टहनियों का ।
छाता ताने दिन-रात खड़े रहते हैं। सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाहट से हमें जगाते हैं। जाड़ों में पेड़ दादा जब हमें अपनी छाया से
दूर धूप में खेलता देखते हैं, तो दुखी हो जाते हैं कि मेरे प्यारे बच्चे मेरे पास नहीं खेल रहे हैं। वे हवा के साथ अपनी पत्तियाँ हमारे
पास भेज देते हैं कि जाओ, मेरे बच्चों के साथ खेलो। कितने अच्छे हैं, पेड़ दादा।
प्रश्न-1 पेड़ दादा छोटी-छोटी टहनियों से बच्चों को क्यों डाँटते हैं?
प्रश्न-2 नीम का पेड़ बच्चों को मीठी-मीठी निबौरियाँ क्यों देता है?
प्रश्न-3 वे हवा के साथ अपनी पत्तियाँ हमारे पास भेज देते हैं कि जाओ, मेरे बच्चों के साथ खेलो' - इस कथन से
लेखक का क्या अभिप्राय है?
प्रश्न-4 नीम के पेड़ को बच्चे पेड़ दादा क्यों कहते हैं?
प्रश्न-5 ‘कितने अच्छे हैं, पेड दादा’ - इस कथन से बच्चों का पेड़ दादा के प्रति कौन-सा भाव प्रकट होता है?
न-3 निम्नलिखित पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उनके नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई।
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई।।
तीर चलाने वाले कर में, उसे चूड़ियाँ कब भाईं।।
रानी विधवा हुई हाय, विधि को भी नहीं दया आई।
नि:संतान मेरे राजा जी, रानी शोक-समानी थी
बुदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी --
तही मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
1. ध (2) पर
ram7256:
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karm ke virat
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