Hindi, asked by kapilgai11, 4 days ago

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 150 शब्दों का निबन्ध लिखिए। 1. ज्ञान का खज़ाना : इंटरनेट 2 जब मेरी घड़ी ने मुझे धोखा दिया 3. वृक्षों का महत्त्व​

Answers

Answered by shalinisolanki799
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Answer:

ज्ञान एक चुम्बक की भांति होता है, जो आस-पास की सूचनाओं को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। यदि हमें किसी भी चीज के बारे में बेहतर ज्ञान होता है तब उस सूचना या तथ्य को आत्मसात करना ज्यादा आसान होता है। ज्ञान सभी के जीवन में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ज्ञान ही हमें जीवन जीने का सलीका सिखाता है। ज्ञान अर्जन की यात्रा इस संसार में आने के तुरंत बाद शुरु हो जाती है। नवजात सर्वप्रथम अपनी इंद्रियों से ज्ञान प्राप्त करता है। स्पर्श के माध्यम से उसे पता चल जाता है कि कौन अपना है, कौन पराया।

ज्ञान का अर्थ

ज्ञान संस्कृत के ‘ज्ञ’ धातु से बनी है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – जानना या बोध होना।

ज्ञान एक परिचित, जागरूकता, या किसी व्यक्ति या चीज़ की समझ है, जैसे तथ्य, जानकारी, विवरण या कौशल, जो अनुभव, शिक्षा या विचार, खोज, या सीखने के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

ज्ञान किसी विषय की सैद्धांतिक या व्यावहारिक समझ का उल्लेख कर सकता है। यह अंतर्निहित (व्यावहारिक कौशल या विशेषज्ञता के साथ) या स्पष्ट (किसी विषय की सैद्धांतिक समझ के साथ) के रूप में हो सकता है; यह कम या ज्यादा औपचारिक या व्यवस्थित हो सकता है।

दार्शनिक प्लेटो ने ज्ञान को "उचित सत्य विश्वास" के रूप में प्रसिद्ध किया।

उपसंहार

ज्ञान अर्जन में सबसे जरुरी तत्व होता है, हमारी बुध्दि। बुध्दि से ही बोध होता है। बिना बुध्दि के, ज्ञान का आत्मसातीकरण सम्भव नहीं। कोई भी ज्ञान तभी उपयोगी माना जाता है जब उसका प्रयोग हम दैनिक जीवन में कर पाते हैं। अन्यथा ऐसा ज्ञान निरर्थक होता है जिससे किसी का भला न हो। दिमाग में उसका संग्रहण करने से कोई लाभ नहीं। भगवान बुध्द, जिनको उनके ज्ञान की वज़ह से ही भगवान की पदवी प्राप्त हुई। उन्होंने ज्ञान का बोध होने पर समस्त विश्व में प्रसारित किया, और उनके ज्ञान से अनेकों का जीवन संवरा। बुध्दि से ही बोध होता है और बोध से ही सिद्धार्थ ‘बुध्द’ बने।

Explanation:

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