प्रश्न.1 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला , उस-उस राही को धन्यवाद जीवन अस्थिर, अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल नहीं सीमित पग-डग, लम्बी मंजिल तय कर लेना कुछ खेल नहीं दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते सम्मुख चलता पथ का प्रमाद जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद जो साथ न मेरा दे पाए उनसे भी सूनी हुई डगर मैं भी न चलू यदि तो भी क्या राही मर, लेकिन राह अमर इस पथ पर वे ही चलते हैं जो चलने का पा गये स्वाद
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला , उस-उस राही को धन्यवाद
प्र.1 कवि किसे धन्यवाद देना चाहता है ?
प्र 2 कवि के अनुसार मंजिल कैसे तय होगी? प्र.3 कवि के अनुसार रास्ते में कैसे-कैसे अनुभव हुए? प्र.5 पथ पर अन्ततः कौन चलता है ?
प्र.4 कवि के अनुसार अगर कोई साथ नहीं मिलता तो क्या होगा?
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जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला , उस-उस राही को धन्यवाद जीवन अस्थिर, अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल नहीं सीमित पग-डग, लम्बी मंजिल तय कर लेना कुछ खेल नहीं दाएँ-बाएँ सुख-दुख चलते सम्मुख चलता पथ का प्रमाद जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद जो साथ न मेरा दे पाए उनसे भी सूनी हुई डगर मैं भी न चलू यदि तो भी क्या राही मर, लेकिन राह अमर इस पथ पर वे ही चलते हैं जो चलने का पा गये स्वाद
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