प्रश्न 1 निन्ननिखित गद्यांश को पटकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
अपने दृश्य रूप में प्रकृति नित्य प्रति परिवर्तनशीन होते हुए भी मूल रूप में शाश्वत और सुंदर है । मानव स्वभाव
से ही सौन्दर्य प्रेमी है । सो कहा जा सकता है कि मानव और प्रकृति का सम्बन्ध भी अनादि और शाश्वत है। इस अनादि
एवं शाश्वत सम्बन्ध का कारण स्पष्ट है । वह यह है कि सृष्टि के आरम्भ में मानब - जाति का जन्म , बालन-पानन
सभी कुछ प्रकृति की गोद में ही हुआ था । इतना ही नहीं, वह सदियों तक प्रकृति के उन्मुक्त वातावरण में रहकर ही
चिन्तन -मनन करता रहा | बह पूर्णतया प्रकृति पर ही अवनन्बित रहा | अनादिकाल से लेकर आजतक अपने भरण-
पोषण और विकास के जितने भी साधन मानव जाति ने अन्वेषित एवं उपलब्ध किए हैं, वे सब भी तो उसे प्रकृति से प्राप्त
हुए हैं। फिर मानव शरीर का निर्माण जिन पाँच भौतिक तत्वों से हुआ, पृथ्वी, जन , वायु, अग्नि, आकाश-ये भी तो
मुक्त और व्यापक प्रकृति का साकार अंग हैं। ऐसी स्थिति में मानब अपने साहित्य, श्रद्धा, भक्ति और प्रेम भाव की
अभिव्यक्ति प्रकृति के बिना कैसे कर सकता है। इन्हीं रूपों में वह प्रकृति के प्रति अपना आभार प्रकट करता है । मानव
की इस कृतज्ञता के बदने प्रकृति भी अपनी विविध सम्पदाओं के भंडार मनुष्य पर बुटाती आ रही है। एक ममतामयी माँ
के समान प्रकृति बिना किसी भेदभाव के हमारी सभी आवश्यकताएँ पूर्ण करती है।
(क) प्रकृति और मनुष्य के बीच कैसा सम्बन्ध है ?
(ख) क्मानव जीवन पर प्रकृति के किस प्रकार के उपकार हैं?
(ग) मानव किस रूप में प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करता है?
(घ) प्रकृति की तुलना किससे व क्यों की गई है?
(ड़) गद्यांयश का उचित शीर्षक लिखो।
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1)Shashwat
2)4th aur 6th line padh lijiye
3) saahitya, Shraddha, bhakti, prem bhao se
4) Maa se ki gayi hai kyonki maa ki tarah hi bina kisi bhedbhaav ke prakriti apna saara kucch hum par lita deti hai aur lutaa rahi hai
5) Prakriti aur maanav ka sambandh..
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