Hindi, asked by divya7899, 8 months ago

प ् रश्न- 1 ननम्नलऱखित गदययॊश को ऩढ कर प्रश्नों के उत्तर दें। Date: 8/7/2020 बायत ऩर्वो का देश है। महाॉ र्वर्ष बय भें अनेक धार्भषक, साभाजजक एर्व सास्कततक ऩर्व भनाए जात ह। इन ऩर्वो भ यऺा फधन एक ऩवर्वत्र औय प्रर्सद्ध ऩर्व ह। मह त्मोहाय श्रर्वण भास की ऩर्णभा को भनामा जाता है, इसर्रए इस श्रार्वणी मा सरनो बी कहा जाता ह। इस ददन फहन अऩन बाइमों को यऺासत्र भ फाधती ह, बाई बी उनके स्नेह का प्रतीक याखी को स्र्वीकाय कयके आजीर्वन उनके सम्भान की यऺा कयने का र्वचन देता है, इसर्रए मह त्मोहाय यऺा फॊधन के नाभ से प्रर्सद्ध है। यऺा फॊधन केर्वर बाई-फहन क प्रभ का ही प्रतीक ऩर्व नही ह अवऩत ऐततहार्सक औय सास्कततक द ृजटि स बी मह ऩर्व भहत्त्र्वऩण ह। र्वास्तर्व भ बाई को याखी फाधन की मह प्रथा याजस्थान स शरू हई थी। मदद ककसी औयत ऩय कोई भसीफत आती थी तो र्वह ककसी र्वीय ऩरुर् को अऩना बाई कहकय याखी बेज ददमा कयती थी। याखी का अथष था फहन की यऺा का बाय उठाना। इततहास भें बी कई ऐसे उदाहयण हैं जफ सॊकि भें तघयी स्त्री ने ककसी र्वीय को याखी बेज कय अऩना बाई फनामा औय यऺा की प्राथना की। कहत ह एक फाय यानी कणर्वती न फादशाह हभाम को इसी उद्दश्म स याखी बजी थी। र्वह भसरभान था कपय बी अऩनी भह फहन का न्मोता ऩाकय फहन की यऺा के र्रए चर ऩड़ा था। याखी एक ऩार्वन -ऩर्वष है। इस ददन घयों भें भीठे बोजन औय ऩकर्वान फनाए जाते हैं इससे हभें स ्नेह, फधत्र्व र्व एकता की प्रयणा र्भरती ह। मह त्मोहाय फहन बाइमों क रयश्त को भजफत कयता है। मह एक-दसय क प्रतत प्माय, वर्वश्र्वास, आशा, फर्रदान को जागत कयता ह। ऐसी बार्वनाओ को जागत कयता ह कक फहन अऩन बाइ क र्रए सदा भगर काभना कयती ह र्व बाई फहन क र्रए यऺा के र्वामदे कयता है। बाई -फहन का ऩवर्वत्र प्रेभ यऺा फॊधन का आधाय है। अतः हभें बफना ककसी स्र्वाथष के स्नेह बार्वना के साथ यऺा फॊधन का ऩर्वष भनाना चादहए।
(1) रयिी यय रऺय बॊधन कय दसरय नयम क्यय है?
(2) हहॊदी कैऱेंडर के हहसयब से रयिी कय ऩर्व ककस मयस में मनययय जयतय है?
(3) भयई को रयिी बयॉधने की यह प्रथय कहयॉ से शरू हई थी?
(4) रयिी के ऩयर्न ऩर्व ऩर घरों में क्यय बनययय जयतय है?
(5) रयिी के ऩयर्न ऩर्व से आऩको क्यय प्रेरणय लमऱती है?
(6) आधननक अथव प्रधयन तथय स्र्यथऩण यग में रऺय बॊधन जैसय ऩयर्न ऩर्व अऩनी सयस्कनतक ​

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गणित में कार्तीय निर्देशांक पद्धति (cartesian coordinate system), समतल मे किसी बिन्दु की स्थिति को दो अंको के द्वारा अद्वितीय रूप से दर्शाने के लिए प्रयुक्त होती है। इन दो अंको को उस बिन्दु के क्रमशः X-निर्देशांक व Y-निर्देशांक कहा जाता है। इसके लिये दो लंबवत रेखाएं निर्धारित की जाती हैं जिन्हे X-अक्ष और Y-अक्ष कहते हैं। इनके कटान बिन्दु को मूल बिन्दु (origin) कहते हैं। जिस बिन्दु की स्थिति दर्शानी होती है, उस बिन्दु से इन अक्षों पर लम्ब डाले जाते हैं। इस बिन्दु से Y-अक्ष की दूरी को उस बिन्दु का X-निर्देशांक या भुज कहते हैं। इसी प्रकार इस बिन्दु की X-अक्ष से दूरी को उस बिन्दु का Y-निर्देशांक या कोटि कहते है।

उदाहरण के लिये यदि किसी बिन्दु की Y-अक्ष से (लम्बवत) दूरी a तथा X-अक्ष से दूरी b हो तो क्रमित-युग्म (a,b) को उस बिन्दु का कार्तीय निर्देशांक कहते हैं।

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